
इस कार्यक्रम में मंत्रियों की मौजूदगी का वीडियो वायरल होने से विवाद शुरू हो गया है। हालांकि मंत्रियों को इसमें कुछ गलत नहीं लग रहा है। शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा का कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं है। जैसे हम समाज का हिस्सा हैं, वे भी समाज का हिस्सा हैं। वे शक्ति के उपासक हैं तो मिलने में कुछ गलत नहीं है।
लेकिन विपक्ष और तर्कवादी वैज्ञानिक विचारधारा के पक्षधर लोग इससे आहत हैं। उनका कहना है कि दुनिया 21वीं सदी में पहुंच चुकी है। तब भी राजनैतिक तबकों में पुरानी अंधविश्वास के कार्यक्रमों में मौजूदगी समाज के विकास के लिए घातक साबित हो सकती है। कांग्रेस के नेता अर्जुन मोढवाडिया का कहना है कि संविधान में प्रावधान है कि हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देंगे और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देंगे। ऐसे में भाजपा के दोनों नेताओं ने संविधान की भावना के खिलाफ, जो लोगों को परेशान करते हैं, ऐसे लोगों का सम्मेलन किया और यह सिर्फ वोटों के लिए किया गया।
इस मुद्दे पर गुजरात-मुंबई रेशनलिस्ट एसोसिएशन के सदस्य मनीषी जानी कहते हैं कि एक तरफ महाराष्ट्र में कई लोग जान की आहुति देकर कानून लाने में सफल रहे कि अंधविश्वास को रोकना चाहिए, ऐसे में गुजरात के मंत्री ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। यह शर्मनाक बात है।