भोपाल। पण्डित दीन दयाल और श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी के आदर्शों को लेकर चलने वाली पार्टी आज अपने मूल विचारो से भटककर व्यक्ति वादी स्वार्थवादी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। संगठन का विस्तार करते समय काम करने वाले कार्यकर्ता को वरीयता न देते हुए ऐसे लोगों का चयन किया जाता है जो सुबह शाम उनकी हाजिरी बजाता हो, जो इधर उधर से धन का जुगाड़ करा सकता हो। अभी हाल ही में सीधी जिले में ऐसे कई उदाहरण सामने आए है। बात करते है सीधी जिले की 2006 में पार्टी से बगावत करके जनशक्ति में जाने वाले फिर राष्ट्रीय जनता दल से 2008 का चुनाव लड़ने वाले आज सीधी जिले में भाजपा की कमान संभाल रहे है और कार्यकर्ताओं को सुचिता का पाठ पढ़ा रहे है।
बीते 2013 विधानसभा चुनाव में चुरहट विधानसभा के ग्राम दुअरा निवासी भाजपा का कद्दावर नेता अजय प्रताप सिंह का गृह ग्राम है उनके गृह ग्राम में भाजपा को लगभग 1000 मतो से पीछे रहना पड़ा। नतीजा क्या हुआ उन्हें पहले प्रदेश उपाध्यक्ष फिर प्रदेश महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद से नवाजा गया। विगत 3 माह पहले विन्ध्य विकाश प्राधिकरण के अध्यक्ष की घोषणा हुई वो भी चौकाने वाली सुभाष सिंह 2013 के चुनाव में अजय सिंह राहुल की गाड़ी से बरामद हुए थे। हाल ही में भाजपा के महत्वपूर्ण मोर्चों की घोषणा हुई है जिसमे सुरेश सिंह चौहान को किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष बनाया गया है। सुरेश सिंह प्रदेश महामंत्री के बहुत करीबी बताये जाते है। किसान मोर्चा जो कि ताजा परिस्थितियों में बहुत ही महत्वपूर्ण है किसको जिम्मेदारी दी गयी जो अजय सिंह राहुल के आगमन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है कांग्रेस के पदाधिकारियों के जन्मदिन में रक्तदान करता मीडिया के माध्यम से दिखाई देता है।
अब बात करते है युवा मोर्चा की बहुत ही इंतजार के बाद आधी अधूरी कार्यकारिणी की घोषणा युवा मोर्चा के अध्यक्ष द्वारा की गयी जिसमे चुरहट से संजय पाण्डे को प्रदेश में सदस्य बनाया गया है।
कौन है संजय पांडे
संजय पांडे चुरहट के भाजपा नेता अजय पाण्डे के भाई है। आये दिन आयोजनों में कांग्रेस के बैनर में फ़ोटो देखी जाती है। श्री निवासन तिवारी गट के कार्यकर्ता जाने जाते है। अभी कुछ दिन पहले 1 महिला द्वारा 354 का केस किया गया है जो कि कोर्ट में लाम्बित है और हाई कोर्ट से जमानत पर है।
मार्तण्ड चतुर्वेदी
मार्तण्ड चतुर्वेदी मझौली के कार्यकर्ता है नगर परिषद चुनाव के दौरान तात्कालिक संगठन मंत्री झा द्वारा उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। कब उनकी सदस्यता बहाल हो गयी पता नही। उन्हें भी प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य मनोनीत कर दिया गया।
अखिल सिंह चौहान
पता नही! घोषणा होते ही कार्यकर्ताओ में काना फूसी चालू हुई कि ये नया नाम कहा से आ गया जो पार्टी का सक्रिय सदस्य तक नही है वो कैसे हो सकता है। आखिर कहां गयी पार्टी की गाइड लाइन जिसमे 100 लोगो को प्राथमिक सदस्य बनाने वाले को सक्रिय सदस्य बनाया गया था। सब कुछ धरा का धरा रह गया जमीन में काम करने वाला कार्यकर्ता उदास है। चर्चा तो ये भी है कि युवा मोर्चे के एक दावेदार और है जिन्होंने ने भी अजय सिंह राहुल के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद सीधी आगमन पर स्वागत में शामिल रहे। उनकी फोटो आजकल व्हाट्सएप में खूब चल रही है। कार्यकर्ताओ में तो यहां तक चर्चा है कि अगर सीधी में भाजपा में कोई दायित्व प्राप्त करना है तो या तो पार्टी का विरोध करो या फिर अजय सिंह राहुल के संपर्क में रहो अपने आप पद मिलेगा!
कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी जिन विचारों और सिद्धांतों को लेकर चली थी आज शायद वह अपने रास्ते से भटक चुकी है अब यह कार्यकर्ता पर आधारित पार्टी काम नेताओं के जेब पर आधारित पार्टी हो चुकी है।