
अन्य देशों और भारत के थियेटर और दर्शकों के अनुपात को देखें, तो हमारे यहां जहां दस लाख दर्शकों के लिए मात्र छह सिनेमा थियेटर हैं, वहीं चीन में 23 और अमेरिका में 126 हैं। बड़े शहरों और मेट्रो में सिंगल स्क्रीन समाप्तप्राय: हैं। मल्टीप्लेक्स में टिकट की कीमत चार गुना अधिक होती है। इन सीमाओं के बावजूद बाहुबली ने सिंगल और मल्टीप्लेक्स, दोनों में हाउसफुल बिजनेस किया। एक फिल्म जब आशा से अधिक कमाती है, तो इसका फायदा पूरी इंडस्ट्री को होता है। पैसा वापस इंडस्ट्री में ही लगता है। फिल्मों में काम कर रहे निचले स्तर के कामगारों की स्थिति सुधरती है। काम के नए अवसर बनने लगते हैं।
एक कठिन चुनौती थी यह। दो साल तक बाहुबली को दर्शकों के दिलो दिमाग में तरोताजा रखना और पहली किस्त से एक कदम आगे जाना आसान काम नहीं था। बाहुबली कॉमिक, पुस्तक और ऑनलाइन गेम्स ने इस ब्रांड को आगे बढ़ाने का जिम्मा लिया। राजमौलि ही नहीं, उनकी पूरी टीम के लिए यह समय चुनौती भरा था। फिल्म के नायक प्रभास ने बाहुबली सीरीज को लगभग चार साल दिए, इस बीच उन्होंने दूसरी कोई फिल्म नहीं की। राजमौलि की यह बड़ी सफलता थी कि बाहुबली के दोनों भागों में उनके साथ ऐसे कलाकार और टैक्नीशियन जुड़े थे, जो उन पर पूरी तरह यकीन करते थे।
यह स्थापना हो चुकी है कि बाहुबली-2 सिर्फ एक कामयाब या रिकॉर्ड कमाई करने वाली फिल्म नहीं है, यह एक लकीर है, एक दस्तावेज है कि भारतीय फिल्में किस स्तर की बन सकती हैं और कहां तक पहुंच सकती हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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