
रिटायर्ड जज से जब उनके फैसले के वैज्ञानिक आधार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, 'यह ब्रह्म पुराण में लिखा है जो कि हजारों साल पुराना है। पत्रकार ने जब उनसे कहा कि पुराण तो पौराणिक कथाओं का हिस्सा है और ये वैज्ञानिक पत्रिका नहीं है तो शर्मा ने जवाब दिया, 'विज्ञान का स्थान पौराणिक कथाओं के नीचे आता है।
उन्होंने अपने 139 पन्नों के फैसले को पढ़ने की सलाह देते हुए कहा कि उनके फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है। हालांकि उन्होंने तुरंत ही जोड़ा कि गाय को राष्ट्रीय पशु बनाना केवल एक सुझाव है और केंद्र सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है। गाय को राष्ट्रीय पशु बनाए जाने के सुझाव के पीछे के तर्क पर जस्टिस शर्मा ने कहा, 'गाय के दूध के काफी फायदे हैं। यदि हमें दूध नहीं मिलेगा तो कैसे जीएंगे? और दूसरे देश हमारे दूध, मावा और दूध से बनी मिठाइयों जैसे खीर की संस्कृति के बारे में क्या जानते हैं?'
उन्होंने कहा कि गाय का दूध मंदिरों में अभिषेक के काम भी आता है। शर्मा ने कहा, 'हजारों लीटर दूध केवल देवताओं की पूजा में जाता है। हम लोगों को ऐसा करने से रोक नहीं सकते। इसलिए उन्हें रोकने के बजाय हमें ज्यादा दूध का उत्पादन करना चाहिए। हम उनकी भावनाओं को कैसे चोट पहुंचा सकते हैं? और अभिषेक क्यों नहीं होना चाहिए? बीफ को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जस्टिस शर्मा ने कहा, 'मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं। मैं बीफ पर जवाब नहीं दे सकता।