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इन चारों देशों की नाराजगी कुछ इस्लामी समूहों को कतर की ओर से मिल रहे समर्थन को लेकर है। कतर इसका खंडन करता रहा है, लेकिन इजिप्ट और कुछ अन्य देशों में सक्रिय मुस्लिम ब्रदरहुड से उसकी करीबी जगजाहिर है। सऊदी अरब की सबसे बड़ी चिंता यही है। सुन्नी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड ज्यादातर अरब देशों में मौजूद खानदानी शासन या राजशाही का खुलकर विरोध करता है। सऊदी अरब का शाही परिवार अभी पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को सत्ता सौंपने की प्रक्रिया में है। ऐसे में मुस्लिम ब्रदरहुड का फैलाव उसे अपने लिए कुछ ज्यादा ही खतरनाक लग रहा है।
बहरहाल, आतंकवाद के कई रूपों से ग्रस्त इस क्षेत्र में सुन्नियों का आपसी टकराव पहली बार सतह पर दिख रहा है। दुनिया के बाकी देश इस टकराव में किसका किस हद तक साथ देंगे, यह अभी तय नहीं है लेकिन कतर ने झुकने का कोई संकेत नहीं दिया है। प्राकृतिक गैस और तेल भंडार के मामले में दुनिया में तीसरा स्थान रखने वाला यह छोटा सा देश प्रति व्यक्ति आय के मामले में पूरी दुनिया में नंबर १ है। इसे झुकाना आसान नहीं होगा। तनाव अगर लंबा चला तो इससे दुनिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भारत के लिए तेल-गैस महंगी होने के अलावा एक चिंता यह भी है कि कतर की आबादी का एक चौथाई हिस्सा हिंदुस्तानी है। भारत को अपने लोगों की कितनी चिंता होती है। यह सबको पता है पहले भी भारत के एक मंत्री ने खुद जाकर खाड़ी के देशों से अपने लोगो को निकाला था। कहीं पुरानी प्रक्रिया फिर न दोहराना पड़े।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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