
अधिकांश प्रोफेसर ऐसे हैं, जो किसी भी हालत में अपना शहर छोड़ने तैयार नहीं। इसलिए उसी शहर के दूसरे कॉलेज में तबादला कराने के प्रयास में लगे हैं। सिफारिश के लिए कोई सत्ताधारी पार्टी के दिग्गज नेताओं, विधायकों व मंत्री से सम्पर्क साध रहे हैं, तो कोई आरएसएस के पदाधिकारियों से गुहार लगा रहे हें। अब देखना यह है कि कौने प्रोफेसर पसंद के कॉलेज में पहुंचते है और किसकी मेहनत बेकार जाती है।
देहात के कॉलेज में नहीं जाना चाहते
ज्यादातर प्रोफेसर ऐसे हैं,जो ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में पोस्टिंग नहीं चाहते। चूंकि उनका परिवार शहर में रहता है,देहात में तबादला हो गया तो या तो उन्हें परिवार से दूर रहना पड़ेगा या कॉलेज में लिए अप-डाउन करना होगा। ऐसी नौबत न आए,इसके लिए तबादला के क्राइट एरिया में आ रहे प्रोफेसर अभी से इस प्रयास में जुटे हैं,उनकी पोस्टिंग शहरी क्षेत्र में ही दूसरे कॉलेज में हो जाए।
इस बार करना है आॅनलाइन आवेदन
मप्र शासन ने तबादला का पैटर्न बदल दिया है। पहले जो व्यवस्था थी,उसके अनुसार जिन शासकीय सेवकों की तबादले की इच्छा होती थी,वे आवेदन विभाग में भेज देते थे। लेकिन अब तबादला के लिए आॅनलाइन आवेदन व्यवस्था लागू कर दी गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने भी सभी सरकारी कॉलेजों को पत्र भेज दिया है कि वहां के जो प्रोफेसर स्वेच्छा से तबादला कराना चाहते हैं,तो वाजिब कारण बताते हुए आॅनलाइन आवेदन भरकर भेज दें।