
हाई कोर्ट के ऐक्टिंग चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप शर्मा वाली बेंच ने कहा कि राजमार्गों पर शौचालय का न होना चिंता का विषय है। इसकी वजह से दिन-रात यात्रा पर्यटकों को खुले में पेशाब-शौच करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इससे जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है वहीं प्रदूषण भी फैलता है।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट को दि गई सूचना के अनुसार, 2016-17 में हिमाचल प्रदेश में कमोबेश 2 लाख गाड़ियां करीब 84 लाख पर्यटकों को लेकर आईं। इसके अलावा नैशनल हाइवेज और स्टेट हाइवेज पर रोजाना करीब 5,000 बसें चलती हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आवागमन के बावजूद हाइवेज पर शौचालय की सुविधा नहीं है, जिससे यात्रियों और पर्यटकों को खुले में शौच या पेशाब करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बता दें कि 'खुले में शौच से मुक्त' का दर्जा पाने वाला हिमाचल प्रदेश दूसरा राज्य बन गया है।