
राज्य की खुफिया और सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खान ने बताया कि वह बाड़मेर जिले के चोहटान गांव में स्थित एक छोटी मजार का प्रभारी था। उसने मजार पर चंदे से प्राप्त पैसों में से करीब 3.5 लाख रुपए अन्य जासूसों जैसे सतराम माहेश्वरी और उनके भतीजे विनोद माहेश्वरी को दिए।
दीना खान पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के हैंडलर्स से फोन पर बात करता था, जहां से उसे पैसे बांटने का निर्देश दिया जाता था। पुलिस को संदेह है कि आईएसआई ने अपनी जासूसी गतिविधियों के लिए फंड जुटाने के मकसद से सीमावर्ती क्षेत्रों के कई स्थानों पर दान पेटियां डाली होंगी।
अधिकारी ने बताया कि हवाला नेटवर्क के जरिए पैसा बांटना मुश्किल है, क्योंकि यह पकड़ में आ जाता है। इसलिए पैसा जुटाने और जासूसों के बीच बांटने के लिए दान पेटी बहुत आसान रास्ता है। पुलिस का मानना है कि आईएसआई ने सीमावर्ती कई जगहों पर ऐसी दान पेटियां लगवा रखी हैं, ताकि घुसपैठ की गतिविधियों के लिए पैसों की जरूरत को पूरा किया जा सके।
खुफिया एजेंसियां अब सीमावर्ती गांवों में बने पूजा-स्थलों में करीब से नजर रख रही हैं, जहां अचानक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। डिप्टी आईजी आर सुहासा ने कहा कि एसपी को ऐसे स्थानों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही बेहतर समन्वय और रणनीतिक योजना के साथ हमने विदेशी खुफिया नेटवर्क का पता लगाया है।