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इसके तहत 15 अप्रैल से अध्यापकों के तबादले होने थे, लेकिन नीति में लगातार संशोधन के चलते अब तक तबादले शुरू नहीं हो पाए हैं। तीन दिन पहले अध्यापक नेता मुख्यमंत्री से मिले थे। तब मुख्यमंत्री ने 30 जून तक नीति जारी करने का भरोसा दिलाया था। इसके बाद शासन ने संशोधित प्रारूप स्वीकृति के लिए भेज दिया है।
इस साल युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को आॅनलाइन कर दिए जाने के कारण भी बहुत देरी हुई है। इधर युक्तियुक्तकरण और तबादले ना हो पाने के कारण स्कूलों में रिक्त पदों की गणना स्पष्ट नहीं हो पा रही है और इसी के चलते संविदा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है।