राकेश दुबे@प्रतिदिन। कितना बुरा हो रहा है, देश में किसान के साथ। उसकी पीड़ा को भाजपा और कांग्रेस ने मजाक बना कर रख दिया है। लगभग पूरे देश का किसान दिल्ली आन्दोलन में अपनी भागीदारी के लिए एकत्र हो रहे हैं। कांग्रेस के कर्णधार राहुल बाबा इटली में नानी से लोरियां सुन रहे हैं। भारत सरकार ने एक आधा अधूरा पैकेज जारी कर किसान आन्दोलन की हवा निकालने की कोशिश की है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री को मंदसौर में खरी-खरी सुनना पड़ी है। मंदसौर गोली चालन के विरूद्ध भोपाल में कांग्रेस के बैनर में बड़े-बड़े शब्दों में श्रीमंत और महाराजा का प्रचार है।
प्रसिद्धि की भूख और किसान आन्दोलन के बहाने प्रदेश में सुप्त कांग्रेस को जगाने की कोशिश मंच पर भीड़ इकट्ठा कर रही है, इस भीड़ ने कल आष्टा में महाराजा को धराशायी कर दिया। बालाघाट में प्रदेश के कृषि मंत्री और और सांसद के बीच मंच पर गाली-गलौज हुई हाथापाई थोड़े से फासले से रुक गई। जी,हाँ! यह सब सच है, क्या यह किसी समस्या के निदान का तरीका है ?कोई भी इन तरीको से सहमत नही हो सकता। यह सब नाटक है, किसान की समस्या अपनी जगह और नाटक अपनी जगह चल रहे हैं।
राहुल बाबा युवा है, उन्हें देश से कम विदेश से ज्यादा उर्जा मिलती है। पिछले कई मौकों पर मोर्चा छोड़ विदेश जाने में उनका रिकार्ड रहा है। फिर, चुनाव परिणाम इसके रिपोर्ट कार्ड होते ही हैं। लोहा लेने वाले नेता अब कांग्रेस में नही बचे हैं। जो आ रहे हैं, वे गाली देने को मालवा की संस्कृति बताने की धृष्टता कर रहे है, उस निर्णय के परिणाम की सबको प्रतीक्षा है, जो गुजरात से आएगा। कांग्रेस ने तपे हुए नेताओं की जगह इस मालवी सपूत का चयन जो किया है।
“खेत की जगह खलिहान की बात” मुहावरे का प्रयोग भारत की सरकार ने भी इस मामले में किया है। 20339 करोड की घोषणा में कहा गया है कि किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज के भंडारण के लिये भी सात प्रतिशत की सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होगा। यह व्यवस्था छह माह के लिये होगी। कृषिऋण 9 प्रतिशत की दर पर मिलता है। सरकार की योजना के तहत किसनों के फसली ऋण पर दो प्रतिशत ब्याज सहायता दी जाएगी और यह सहायता तीन लाख रुपये तक के फसली ऋण पर उपलब्ध होगी। जब बीज खाद का ऋण पटेगा तब तो फसल होगी न। इसे ही कहते है खेत से पहले खलिहान की बात।
बात का क्या है ? बात की बानगी देखनी है तो बिसेन की देखिये। बालाघाट जिले के मलाजखंड में आयोजित 'सबका साथ, सबका विकास' कार्यक्रम में कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन और बालाघाट के सांसद बोधसिंह भगत मंच पर दो-दो हाथ कर किये। दोनों के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। सांसद बोधसिंह भगत ने जब एक मामले का जिक्र किया, तो गौरीशंकर बिसेन ने सांसद बोधसिंह से गलत बात नहीं कहने को कहा। इस दौरान सांसद-मंत्री के बीच तीखी नोक-झोंक हो गई। मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने जहां सांसद भगत से कहा कि बहुत देखे हैं ऐसे सांसद। वहीं इसके जवाब में सांसद ने भी मंत्री बिसेन को अपशब्द कहे। अब इस सब से क्रुद्ध किसान इसे नाटक और अपनी लड़ाई को युद्ध न कहे तो क्या? ऐसे या वैसे शहीद तो उस बेचारे को ही होना है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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