नई दिल्ली। चैंपियन्स ट्रॉफी के फाइनल मैच में पाकिस्तान की जीत के बाद देश में कुछ लोगों ने भारत की हार और पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाया। इतना ही नहीं, भारत में रहते हुए वे पाकिस्तान के समर्थन में और भारत के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। पुलिस ने सोमवार को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से 15 और कर्नाटक में चार लोगों को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। मगर, अब मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि वह इन लोगों को रिहा करे। गौरतलब है कि पुलिस ने इन 19 लोगों पर "सांप्रदायिक सौहार्द" को बिगाड़ने का आरोप लगाया गया, जिसे राजद्रोह माना जाता है और इसके लिए आजीवन कारावास की सजा मिलती है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के इंडिया प्रोग्राम की डायरेक्टर अस्मिता बसु ने कहा कि ये गिरफ्तारी बेतुकी हैं और 19 लोगों को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसा पुलिस का दावा है कि गिरफ्तार किए गए लोगों ने पाकिस्तान का समर्थन किया है, लेकिन यह कोई अपराध नहीं है। किसी भी टीम का समर्थन करना व्यक्तिगत पसंद का मामला है, और प्रतिद्वंद्वी टीम की जीत का जश्न मनाने पर उसे गिरफ्तार करना स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करना है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, मध्य प्रदेश पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के समर्थन में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए। उन्होंने पाकिस्तान के जीत का जश्न मनाया और मिठाइयां बांटी। उनके इस एक्शन से पता चल रहा है कि वे क्रिकेट मैच में पाकिस्तान का समर्थन करके भारत सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रचने की कोशिश कर रहे थे। उनके इस काम से गांव में अशांति का माहौल है।
इतना ही नहीं, अस्मिता बसु ने कहा कि इन मामलों से पता चलता है कि देशद्रोही कानून तुरंत खत्म क्यों किया जाना चाहिए। यह कानून अत्यधिक व्यापक और अस्पष्ट है इसके साथ ही यह उन लोगों को चुप करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। अधिकारों का सम्मान करने वाले किसी समाज में देशद्रोह के कानून के लिए कोई स्थान नहीं है।