
कमलनाथ पिछले दो दिनों से मध्यप्रदेश में रहे। गुरुवार को उनके संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में एक किसान श्याम यदुवंशी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। कमलनाथ ने ऐलान किया है कि वह श्याम का कर्ज खुद चुकाएंगे। वह शुक्रवार को नरसिंहपुर जिले के धामना गांव भी गए। वहां लक्ष्मीप्रसाद पटेल नाम के किसान ने 4 दिन पहले आत्महत्या कर ली थी। कमलनाथ के साथ पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा और वरिष्ठ नेता रामेश्वर नीखरा भी मौजूद थे।
कमलनाथ ने वहां मीडिया से कहा कि पिछले 17 दिनों में प्रदेश में 27 किसानों की मौत हुई है। इनमें 7 पुलिस की गोली से मारे गए हैं। जबकि 20 ने आर्थिक परेशानी और कर्ज के चलते खुदकुशी की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। अब पानी सिर से ऊपर हो गया है। इसलिए शिवराज सरकार को तत्काल बर्खास्त करके प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
किसान आंदोलन के बाद कांग्रेस ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है। शिवराज सिंह के उपवास का जवाब देने ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सत्याग्रह किया तो कमलनाथ ने किसान महापंचायत बुलाई। अच्छी बात यह रही कि दोनों आयोजनों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी। मैं बड़ा, तू छोटा साबित करने की होड़ नहीं थी। हालांकि अभी भी दोनों नेताओं के समर्थक एक दूसरे के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो रहे हैं, परंतु उनके नजदीकी नेताओं ने एकजुटता प्रमाणित करना शुरू कर दिया है। सिंधिया के सत्याग्रह में कमलनाथ के नजदीकी सांसद विवेक तन्खा आए थे तो कमलनाथ के साथ सिंधिया गुट के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी गए।
अब से पहले हमेशा यह होता देखा गया कि कांग्रेस की तिकड़ी में यदि कोई एक नेता सरकार का विरोध करे तो बाकी 2 चुप हो जाते थे। कांग्रेस अपने आप कमजोर दिखने लगती थी परंतु किसान आंदोलन के बाद सीन बदल रहा है। मप्र के लिए पूरी ताकत से दावेदारी कर रहे कमलनाथ ने ना केवल गुडीगुडी पॉलिटिक्स की प्रैक्टिस बंद कर दी है बल्कि सिंधिया को बैकअप बयान देकर मजबूत भी कर रहे हैं।