भोपाल। रचना टॉवर में फ्लैट बुक कराने वाले सांसद-विधायक जीएसटी लागू होने से पहले फ्लैट की बकाया राशि एकमुश्त नकद देने को तो तैयार हैं। वे कैश में रकम जमा कराने के लिए आवास संघ पर दबाव बना रहे हैं। कुछ ने तो अफसरों को यह ऑफर भी किया कि कैश में रकम जमा कराने का कोई रास्ता निकाल लो तो फ्लैट की पूरी कीमत (चारों किश्तें) तत्काल जमा करा देंगे। अफसरों ने नियमों का हवाला देते हुए कैश लेने से साफ इंकार कर दिया है। इस वजह से कई जनप्रतिनिधि डिफाल्टर हो गए हैं, वहीं कुछ चाहकर भी चेक से रकम नहीं दे पा रहे हैं।
2016 तक फ्लैट बुकिंग के लिए आवेदन करने वाले सांसद-विधायकों को नवंबर 2016 में पहली किश्त जमा करानी थी और दूसरी 15 मई तक। भाजपा राष्ट्रीय महासचिव और विधायक कैलाश विजयवर्गीय ने अब तक एक भी किश्त नहीं चुकाई है। विजयवर्गीय ने 50 लाख रुपए के एचआईजी फ्लैट के लिए आवेदन किया है, यानी उनकी 12.5 लाख रुपए की दो किश्त बकाया हैं।
रास्ते पूछ रहे हैं, कैसे जुगाड़ लगाएं
छतरपुर से भाजपा के पूर्व विधायक उमेश शुक्ला बुधवार को आवास संघ कार्यालय पहुंचे। उन्होंने अब तक एक भी किश्त नहीं चुकाई है। शुक्ला बोले- मैं नकद में किश्त जमा कराना चाहता हूं। अफसरों ने नियमों का हवाला देते हुए इंकार कर दिया। गुरुवार को बैरसिया के पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर के परिवार के सदस्य ने 5.50 लाख रुपए के दो चेक जमा कराए। इनका कहना था यदि कैश जमा करने का प्रावधान होता तो देर से भुगतान की नौबत नहीं आती। जबलपुर विधायक अंचल सोनकर एक नजदीकी रिश्तेदार भी यह पूछने आए कि किस किस तरीके से किश्त चुकाई जा सकती है?
सता रहा 12.5% जीएसटी का डर
आवास संघ के दफ्तर में बीते तीन दिन से सांसद-विधायकों में बकाया किश्त जमा कराने की होड लगी है। जो अब तक कैश लिमिट 2 लाख तय होने के कारण किश्त जमा करने से कतरा रहे थे, उन्हें अब जीएसटी में रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ी हुई टैक्स दर का डर सता रहा है। अभी सांसद-विधायकों को प्रीमियम राशि पर 4% सर्विस टैक्स चुकाना होता है, लेकिन 30 जून के बाद इसकी जगह जीएसटी ले लेगा, तब हर किश्त पर 12.5% अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा।