
संघ का कहना है की 8 वर्षो से कार्यरत 773 कर्मचारियों को 30 जून से बेरोजगार करने का फरमान विभाग जारी कर चुका है। यदि सेवा समाप्ति के इस आदेश को वापस नहीं लिया जाता तो 773 कर्मचारी अपने परिवार सहित राजधानी पहुचकर अपने परिवार की पालन पोषण की व्यवस्था की मांग सरकार से करते हुए उग्र प्रदर्शन को बाध्य होंगे। एक ओर सरकार बेरोजगारो को रोजगार देने की बात करती है तो दूसरी ओर रोजगार से जुड़े हुए मेरिट में आगे नवयुवकों को बेरोजगार करने का फरमान जारी कर रखा है। क्या ऐसा ही है हमारा स्वर्णिम मध्यप्रदेश?
समस्त संविदा ऍमपीडब्ल्यू मलेरिया मप्र सरकार से मांग करते है की कर्मचारियों की सेवाएं निरंतर रखी जाये और उनके लिए केबिनेट से पद सृजित कर उनका नियमितिकरण किया जावे। एक और माह जून मलेरिया माह चल रहा है और मलेरिया कर्मियो को सेवा से बाहर करना कँहा का न्याय है ? क्या यह कर्मचारियों के साथ साथ प्रदेश की जनता से भी खिलवाड़ नहीं है ?