भारत के नए राष्ट्रपति का नाम रामनाथ कोविंद: याद कर लो

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। एक बार फिर ठीक वैसा ही हुआ जैसी कि आरएसएस की परिपाटी है। जितने भी नाम राष्ट्रपति पद की रेस में चल रहे थे सभी दरकिनार कर दिए गए और बिहार वाले रामनाथ कोविंद का नाम घोषित कर दिया गया। लगभग तय है कि रामनाथ कोविंद ही भारत के नए राष्ट्रपति होंगे। कोविंद का नाम सभी के लिए चौंकाने वाला है। इससे पहले भी जब कोविंद को बिहार का गवर्नर बनाया गया तो वहां के सीएम नीतीश कुमार को भी इस बारे में जानकारी नहीं थी। कोविंद बीजेपी के नेशनल स्पोक्सपर्सन रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने कभी किसी टीवी बहस में भाग नहीं लिया। यूपी में भी भाजपा कोविंद को दलित चैहरा बनाकर भेजना चाहती थी परंतु सवर्णों के दवाब के चलते ऐसा नहीं हो सका। कोविंद अपने जीवन में 2 चुनाव लड़ चुके हैं, दोनों हार गए। आइए जानते हैं इनके बारे में कुछ बातें: 

जन्म: -एक अक्टूबर 1945 को कानपुर की डेरापुर तहसील के परौंख गांव में हुआ। सविता कोविंद से विवाह हुआ, उनका एक पुत्र और एक पुत्री है।
सुप्रीम कोर्ट- हाईकोर्ट: -1978 में SC में वकील के तौर पर अप्वाइंट हुए। 1980 से 1993 के बीच SC में केंद्र की स्टैंडिंग काउंसिल में भी रहे। 1971 में दिल्ली बार काउंसिल में एडवोकेट रहे। 1977 से 1979 के बीच दिल्ली हाईकोर्ट में सेंट्रल गवर्नमेंट के एडवोकेट के तौर पर अप्वाइंटेड रहे।
IAS: रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में रहकर IAS की तैयारी की और एग्जाम पास किया।
अटल बिहारी वाजपेयी: अटलजी के करीबी माने जाते हैं। लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह से भी नजदीकियां हैं।
दलित: बीजेपी का दलित चेहरा हैं। पार्टी ने इलेक्शन में और गवर्नर के तौर पर भी उनके दलित चेहरे को प्रोजेक्ट किया है। दलित बीजेपी मोर्चा के अध्यक्ष रहे। ऑल इंडिया कोली समाज के प्रेसिडेंट हैं। लखनऊ की डॉ. बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के बोर्ड मेंबर और IIM-कलकत्ता में बोर्ड मेंबर रहे।
राज्यसभा: यहां दो बार चुना गया। पहली बार 1994 से 2000 तक और उसके बाद 2000 से 2006 तक।
स्पोक्सपर्सन: बीजेपी के स्पोक्सपर्सन रह चुके हैं। लेकिन, विवादों और टीवी से दूरी बनाकर रखी।
पार्लियामेंट्री कमेटी मेंबर: शेड्यूल कास्ट/ट्राइब्स वेलफेयर पार्लियामेंट्री कमेटी, पार्लियामेंट्री कमेटी ऑन होम अफेयर्स, पार्लियामेंट्री कमेटी ऑन पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस, पार्लियामेंट्री कमेटी ऑन सोशल जस्टिस एंड एम्पॉवरमेंट, पार्लियामेंट्री कमेटी ऑन लॉ एंड जस्टिस के मेंबर रहे।
यूनाइटेड नेशंस: रामनाथ कोविंद ने यूनाइटेड नेशंस में इंडिया को रिप्रेजेंट किया और 2002 की जनरल असेंबली में स्पीच भी दी।
गवर्नर: प्रेसिडेंट ने 8 अगस्त 2015 को बिहार का गवर्नर अप्वाइंट किया था।

2012 में हुई थी दलित चेहरा प्रोजेक्ट करने की कोशिश
एक बीजेपी लीडर ने बताया, "राजनाथ कोविंद को यूपी में दलित चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करना चाहते थे, लेकिन यूपी की ब्राह्मण लॉबी को इस बात का डर था कि कहीं वो दूसरे कल्याण सिंह ना बन जाए, जो अक्सर पार्टी में आते और जाते रहते हैं। हालांकि, बीजेपी के लिए कोविंद हमेशा ही ईमानदार रहे, ये बात और है कि जब पार्टी ने उन्हें जनरल सेक्रेटरी के तौर पर यूपी भेजा तो उन्होंने एक साल से ज्यादा कोई भी रिस्पॉन्सिबिलिटी उठाने से इनकार कर दिया।

मोरार जी देसाई के पर्सनल सेक्रेटरी रहे
कोविंद ने अपने करियर की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट के वकील के तौर पर की। इसके बाद वो 1977 में तब पीएम रहे मोरार जी देसाई के पर्सनल सेक्रेटरी बने। कोविंद ने 1990 में घाटमपुर से लोकसभा का इलेक्शन लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद वो 2007 में यूपी की भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़े, पर ये चुनाव भी वे हार गए।

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