
पटेल ने कहा, ‘बैठक नहीं हुई। सभी एमपीसी सदस्यों ने वित्त मंत्रालय का बैठक संबंधी अनुरोध अस्वीकार कर दिया। आरबीआई गवर्नर से ऐसी बैठक के बारे में पूछा गया था। उनसे कहा गया था कि क्या ऐसी बैठक से आरबीआई की स्वायत्ता से समझौता नहीं होता। वर्ष 2017-18 की बुधवार को जारी दूसरी द्वैमासिक नीति समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय ने ब्याज दर निर्धारण करने वाली इस समिति के साथ बैठक तय की थी। ब्याज दर घटाने की मांग को लेकर अक्सर आरबीआई और सरकार के बीच मतभेद उभरता रहा है।
सरकार कई बार आरबीआई की नीतिगत समीक्षा से पहले अपनी उम्मीदें सार्वजनिक रूप से जाहिर कर चुकी है। वृद्धि में तेजी लाना सरकार के लिए बड़ी प्रत्याशा है जबकि आरबीआई मुद्रास्फीति की चिंता के अनुरूप ही कदम उठाता है। रेपो रेट तय करने और मौद्रिक नीति उपाय तय करने के लिए पिछले साल सितंबर में एमपीसी बनायी गयी थी, एमपीसी को मुद्रास्फीति दर चार प्रतिशत के स्तर पर लाने का काम दिया गया है। आरबीआई रेपो रेट पर बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है।