ललित मुदगल/शिवपुरी। मप्र शासन ने रेत परिवहन पर प्रतिबंध लगा रखा है परंतु मप्र के शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा में एसडीएम आरके पांडेय के हस्ताक्षर से जारी अनुमति पत्र के आधार पर 26000 ट्रेक्टरों को रेत परिवहन की अनुमति दे दी गई। इन ट्रेक्टरों ने कुल कितनी रेत का परिवहन किया और कितने करोड़ का रेत घोटाला हुआ, इसकी जांच अभी बाकी है। कलेक्टर शिवपुरी तरुण राठी का कहना है कि इस मामले पूरी जानकारी मंगवाई जा रही है। न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी।
मामला क्या है
कोलारस जनपद ऑफिस से पंचायतों में शौचालय के निर्माण के लिए रेत उत्खन्न और परिवहन की मंजूरी के लिए एक मांग पत्र एसडीएम आॅफिस भेजा गया। इसमें 26 हजार ट्रेक्टर रेत की जरूरत बताई गई। मांग पत्र के आधार पर कोलारस एसडीएम कार्यालय से कलेक्टर शिवपुरी के लिए प्रस्ताव बना कर एक फाईल चलाई गई, लेकिन कलेक्टर को पहुंचाई नही गई। इस फाईल में एक कागज कुछ इस तरह से तैयार किया गया कि वो पहली नजर में रेत परिवहन की अनुमति जैसा लगे। यही कागज रेत माफियाओं के बीच वितरित कर दिया गया। सील सिक्के लगे इसी कागज के आधार पर खुलेआम रेत परिवहन किया गया। इस कागज पर ट्रेक्टर के नंबर और ट्रेक्टर मालिकों के नाम हाथ लिखे गए हैं। जब पुलिस ने ट्रेक्टरों को पकडा तो यह कागज दिखा दिया गया।
SDM कोलारस पर उठते सवाल
रेत उत्खन्न और परिवहन का आदेश कोई भी एसडीएम नही दे सकता है तो कोलारस एसडीएम आर-आर पाडें ने इस तरह की फाइल क्यों तैयार करवाई।
जब कलेक्टर की ओर से अनुमति प्राप्त नहीं हुई थी तो इस फाइल में से एसडीएम का हस्ताक्षरयुक्त अनुमति पत्र कैसे लीक कर दिया गया।
कोई भी जनपद पंचायत शौचालय निर्माण के लिए रेत या निर्माण सामग्री के परिवहन हेतु अनुमति की मांग कर ही नहीं सकती, फिर जनपद से यह प्रस्ताव कैसे आ गया।
बता दें कि शासन हितग्राही को शौचालय निर्माण के लिए भुगतान सरकारी खजाने से दे रही है। शासन का काम हितग्राही को पैसे देना है ना कि शौचालय निर्माण में काम आने वाले समान की व्यवस्था बनाना।