भोपाल। भाजपा के विद्वान राज्यसभा सदस्य अनिल माधव दवे की सीट पर उम्मीद की जा रही थी कि उनके ही समतुल्य योग्य एवं विद्वान व्यक्ति को राज्यसभा में भेजा जाएगा परंतु सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंडला की महिला नेता संपतिया उइके को प्रत्याशी घोषित करवा दिया। अब इस नाम को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। संपतिया उइके की शैक्षणिक योग्यता 12वीं है। लोग पचा नहीं पा रहे हैं कि वो दवे की उत्तराधिकारी कैसे हो सकतीं हैं। लोकसभा/राज्यसभा में देश के कानून बनाए जाते हैं। भारत का भाग्य लिखा जाता है। लोकसभा में मतदान जनता करती है इसलिए कई बार प्रत्याशी जातिवाद और क्षेत्रवाद पर आधारित तय कर दिए जाते हैं परंतु राज्यसभा में ऐसी कोई मजबूरी नहीं होती। मंडला में उन पर घोटाले का आरोप है और उनका बेटा भोपाल में बाइक चोरी के मामले में आरोपी है। कुण्डली के पन्ने पलटना शुरू हो गए हैं। संभव है कुछ और नए खुलासे हों।
सोलर लाइट घोटाले का आरोप
संपतिया उइके पर आरोप है कि उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिवों और जनपद के अधिकारियों पर दबाव बनाकर पंचायतों में अपने चहेते ठेकेदारों से घटिया सोलर लाइट लगवाए और पंच परमेश्वर योजना की करोड़ों रुपए की राशि गबन कर ली। कई पंचायतों में सोलर लाइट लगाए ही नहीं गए। हैरत की बात यह है कि इन मामलों में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की जांच से जुड़ी फाइल पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय में धूल खा रही है।
बेटा वाहन चोरी का आरोपी
संपतिया उइके का बेटा राजा उइके वाहन चोरी मामले में रंगे हाथों भोपाल में ही पकड़ा जा चुका है। राजधानी भोपाल की अवधपुरी थाना पुलिस ने प्रतीक शर्मा की रिपोर्ट पर मंडला निवासी राजा उइके और करण बैरागी को प्रतीक शर्मा की केटीएम ड्यूक बाइक की चोरी के मामले में अवधपुरी चौराहे पर वाहन के साथ गिरफ्तार किया था।
अरविंद मेनन का आशीर्वाद
एक खबर यह भी है कि फग्गन सिंह कुलस्ते ने संपतिया का नाम आगे बढ़ाया परंतु कहा यह भी जा रहा है कि यह नाम अरविंद मेनन की देन है। मेनन मप्र के पूर्व संगठन महामंत्री हैं। सीएम शिवराज सिंह आज भी उनसे सलाह लेते हैं। मेनन ने मप्र में रहते हुए संपतिया को काफी अवसर दिए थे। उन्हे 2013 की विधानसभा चुनाव का टिकट भी दिया गया था परंतु शिवराज और मोदी लहर के बावजूद संपतिया चुनाव नहीं जीत पाईं। संपतिया को केंद्रीय आयोग में मेनन की कृपा से ही सदस्य बनाया गया था। बताया जा रहा है कि इस बार भी मेनन ने ही शिवराज सिंह को संपतिया का सुझाव दिया। शिवराज नहीं चाहते थे कि कोई ऐसा नेता राज्यसभा में पहुंच जाए तो दिल्ली में उनका नुक्सान कर सके। संपतिया के नाम पर शिवराज भी सहमत हो गए।