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पीड़िता ने बताया कि 29 अप्रैल की रात 11.30 बजे। सागर कुरारिया का फोन आया। वह मिलना चाहता था। घर में माता-पिता नहीं थे। दादी थी। बार-बार कॉल कर रहा था। आखिर में उसने धमकी दी यदि तू नहीं आई तो मैं तुझे जान से मार दूंगा। उस दिन उसने पहली बार तू जैसे शब्दों का प्रयोग किया। रात को मैं कॉलोनी में आई। यहां एक सहेली (सागर की मुंहबोली बहन) भी खड़ी थी। उससे सागर की हरकत के बारे में बताया तो वह बोली जाकर मिल ले। सागर बुरा लड़का नहीं है। इतने में सागर वहां आ गया और मेरे दोनों हाथ खींचकर मुझे मालवीय लॉन के पास एक झोपड़ी में ले गया।
यहां बात के दौरान उसने जबरन मेरे साथ बुरा काम किया। मैं घर जाने लगी तो एक चॉकलेट खिलाई (संभवत: उसमें कुछ पदार्थ इंजेक्ट किया था)। कमरे के गेट पर उसके पांच अन्य दोस्त अश्विन उइके, निखिल बोबड़े, गौतम भारद्वाज, अविनाश मेहरा और अविनाश बेले भी थे। इन पांचों के बारे में पूछा तो सागर ने मेरे सिर पर घूसा मारा और मैं बेहोश हो गई। इतना ही देख पाई इनके हाथों में बेल्ट और रस्सी थी। इसके बाद क्या हुआ पता नहीं। मेरी आंखें खुली तो मैं नागपुर के अस्पताल में थी। ना पैर हिला पा रही थी ना हाथ। बोल भी नहीं पा रही थी।
रीढ़ की हड्डी फ्रैक्चर
24 दिन कोमा में रहने के बाद जब उसे होश आया तो वो नागपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में थी। सिर से पैर तक उसे चोट लगी थी। रीढ़ की हड्डी फ्रैक्चर हो जाने से वो अब उठ भी नहीं सकती। पीड़िता के पिता ने बताया कि 30 अप्रैल की सुबह उनकी बेटी घर के पीछे बेहोशी की हालत में मिली। कोल फील्ड के अस्पताल से उसे नागपुर रैफर कर दिया गया जहां 24 दिन तक वो कोमा में रही। जब होश आया तो उसने खुद के साथ हुई ज्यादती के बारे में परिजनों को बताया। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने उसके दोस्त सागर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया लेकिन कुछ दिन बाद जब पीड़िता की हालत कुछ बेहतर हुई तो उसने नया खुलासा किया कि घटना के दिन उसके साथ केवल उसका दोस्त सागर ही नहीं था बल्कि पांच दूसरे लड़के भी थे।
पुलिस के खिलाफ काफी आक्रोष
पुलिस की लचर कार्यवाही को लेकर स्थानीय लोगों में पुलिस के खिलाफ काफी आक्रोष है। इलाके की महिलाएं पीड़िता को इंसाफ दिलाने सड़कों पर उतर आई हैं। उनके मुताबिक अगर अगले दो दिन के अंदर सभी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो महिलाएं पुलिस के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगीं।