
21 अक्टूबर 1988 को चंद्र पाल, कन्हैया लाल और सर्वेश ने वाजिद हुसैन नामक व्यक्ति को चाय पीने का ऑफर दिया था, जो नौकरी के लिए शाहजहांपुर से एक ट्रेन से पंजाब जा रहा था। तीनों ने उसकी चाय में कोई नशीला पदार्थ मिला दिया था। जैसे ही वह बेहोश हुआ, उन्होंने उसकी जेब से 370 रुपए निकाल लिए।
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट काउंसल सुरेश बाबु साहु ने बताया कि तीनों के खिलाफ चोरी व अन्य मामले में एक एफआईआर दर्ज किया गया था। 2004 में पता चला कि चंद्र पाल की मौत हो गई। इसके बाद कन्हैया लाल व सर्वेश के खिलाफ मामला कोर्ट ऑफ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस को हस्तांतरित कर दिया गया।
चंद्र पाल 16 वर्षों तक फरार रहा। वहीं कन्हैया लाल व सर्वेश अब 60 साल के हो चुके हैं और उनके बच्चे काफी बड़े हो गए हैं। उन्हें सालों पहले की गई अपनी गलती का बहुत पछतावा है। उनके लिए यह जवानी में कई गई गलती है। मगर सबसे बड़ी सजा उनके लिए सालों तक चला मुकदमा रहा।