भोपाल। मप्र में शासकीय कर्मचारियों को 7वां वेतनमान आज कैबिनेट में मंजूर हो गया है लेकिन 2.5 लाख पेंशनर्स का वेतनमान फिलहाल अटका हुआ है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि अध्यापकों को अब तक 6वां वेतनमान ही नहीं मिल पाया है। उनका गणनापत्रक अभी भी सीएम आॅफिस की टेबल के किनारे लटका हुआ है।राजधानी भोपाल में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सातवें वेतनमान के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सातवें वेतनमान लागू होने पर कर्मचारियों के वेतन में 14 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी। सातवां वेतनमान एक जनवरी 2016 से लागू होगा। एरियर की राशि तीन किश्तों में हर साल मई महीने में दी जाएगी।
प्रोफेसर, अध्यापक और निगम-मंडल के कर्मियों का फैसला बाद में
वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी सातवां वेतनमान सिर्फ नियमित कर्मचारियों को दिया जाएगा। विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को प्रोफेसर, अध्यापक, पंचायत सचिव, निगम-मंडल के अधिकारियों-कर्मचारियों को लेकर फैसला अलग से होगा। निगम-मंडल कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव का कहना है कि सातवां वेतनमान निगम-मंडल में भी लागू किया जाए।
मप्र शासकीय अध्यापक संगठन के नए अध्यक्ष आरिफ अंजम
भोपाल। मप्र शासकीय अध्यापक संगठन के चुनाव में आरिफ अंजुम निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। अध्यक्ष पद के लिए 19 दावेदार थे। इनमें निवृतमान अध्यक्ष ब्रजेश शर्मा भी शामिल थे। निशातपुरा स्थित सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में हुए चुनाव के लिए प्रदेश से जिलाध्यक्ष व कार्यकारिणी के पदाधिकारी आए थे। पदाधिकारी जितेंद्र शाक्य ने बताया कि चुनाव अधिकारी संजीव त्रिपाठी को बनाया था।