भक्तों के लिए कल्याणकारी होगा श्रावण मास, आएंगे 5 सोमवार

इस बार सावन आसमान से राहत की बूंदे तो बरसाएगा ही साथ ही भक्तों के लिए भी श्रद्धा की बयार लेकर आएगा। इस बार शिव भक्तों को एक ज्यादा सोमवार मिलेगा भोले की पूजा अर्चना के लिए। 29 दिन के सावन में भी पांच सोमवार होंगे। इस बार भगवान शिव का प्रिय माह सावन सोमवार से प्रारंभ होकर सोमवार को ही समाप्त होगा। 

सावन के पहले दिन ही सोमवार को शिवालयों में जलाभिषेक करने भक्त उमड़ेंगे, वहीं आखिरी सोमवार को रक्षा बंधन पड़ रहा है। इस दिन चंद्रग्रहण का साया होने और साथ ही भद्रा होने से रक्षा सूत्र बांधने के लिए मुहूर्तों का टोटा रहेगा।

पं. राजकुमार चतुर्वेदी के अनुसार 10 जुलाई को सावन माह शुरू हो रहा है और पहले ही दिन सोमवार है, साथ ही आखिरी सोमवार के दिन सावन माह का समापन होगा। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र तथा सायंकाल सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग बन रहा है। यह स्थिति मास पर्यंत शिव उपासना के लिए श्रेष्ठ है।

इससे पहले 1997 में इस प्रकार का संयोग बना था। ऐसा संयोग सालों में एक बार आता है, इस संयोग में भगवान शिवजी की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अमूमन सावन माह में चार सोमवार पड़ते हैं लेकिन इस बार पांच सोमवार का पड़ना शुभ संकेत है। तिथियों के घटने से सावन माह इस बार 29 दिनों का पड़ रहा है।

श्रावण मास का धार्मिक महत्व
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह (सावन माह) जुलाई-अगस्त के महीने में पड़ता है। यह भारत के सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। पश्चिमी ज्योतिष व (लूनार) कैलेंडर के अनुसार, जब सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है तो श्रावण माह का शुभारंभ होता है। भक्तजन कड़े उपवास रखते हुए भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं। 

क्या आप जानते है ये भगवान शिव ही थे जिन्होंने मानव जाति को बचाने के लिए हलाहल विष का पान किया? यह समय श्रावण माह का था। समुद्र मंथन के दौरान सागर के गर्भ से तरह-तरह की मूल्यवान चीजें जैसे कि रत्न, गाय, धनुष, शंख इत्यादि निकली, जिन्हे राक्षसों व देवताओं ने आपस में बांट लिया। पर जब महासागर से प्राणघातक जहर हलाहल निकला तो यह इतना ज्यादा विषाक्त था कि सभी लोगों का दम घुटने लगा। इसकी प्रचंडता संपूर्ण ब्रह्मांड को नष्ट करने के लिए काफी थी। तब समस्त संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने इसे पीने का निश्चय किया। इस घातक जहर के प्रभाव से इनका गला(कंठ) इतना नीला पड़ गया कि तब से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा। 

सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की उपासना से लाभ
एेसा माना जाता है कि श्रावण महीने में जो भी व्रत रखता है उसे आत्मिक व आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है। इस महीने किया जाने वाला होम व रूद्राभिषेक मानव मन और शरीर को शुद्ध रखने के साथ मन को असीम शांति प्रदान करता है। देखा जाए तो यह आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हुए आपकी आत्मा को भी पवित्र बनाता है। रूद्राभिषेक के साथ ही महामृत्युंजय का पाठ और काल सर्प दोष निवारण की पूजा-अनुष्ठान के लिए यह समय अत्यंत उपयुक्त समझा जाता है। 

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एक आम धारणा यह भी प्रचलित है जो भी महिला जातक श्रावण सोमवार का व्रत करती है, उन्हें वांछित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इस मास रखें जाना वाला उपवास आपके पथ से सभी बाधाओं व कठिनाइयों को दूर कर देता है। शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पहले से बेहतर हो जाने के साथ-साथ संकल्पशक्ति भी अद्भुत रूप से बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप, आपकी स्मरणशक्ति में भी इजाफा हो जाता है। 

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श्रावण के उपवास का वैज्ञानिक महत्व
श्रावन मास के समय संपूर्ण ब्रह्मांड शिव के तत्वों से युक्त होता है। भगवाव शिव को समर्पित अनुष्ठानों के माध्यमन से मन, इंद्रियां, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है। 
सूरज की कम रोशनी के कारण हमारी पाचन तंत्र कमजोर व नाजुक हो जाता है। इसलिए, एेसे समय ताजे व हल्के भोजन ग्रहण करें। 
चूंकि जल जनित रोग मानसून के दौरान अधिक तेजी से फैलते हैं, अतः अपने शरीर से इन जहरीले तत्वों को बाहर निकालना अत्यंत आवश्यक होता है। 
इसके अतिरिक्त, साबूदाने से बनी चीजें खाना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत बढ़िया रहेगा। 

श्रावण मास के उपवास को कैसे सफलतापूर्वक पूरा करें? गणेशजी के कुछ सुझाव-
शाकाहारी बनें-श्रावण माह के दौरान, पाचन तंत्र को अच्छा रखने के लिए खानपान पूरी तरह से शाकाहारी रखें।
कम खाएं-भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कम से कम सप्ताह में दो बार उपवास रखें। 
सोमवार की शाम को, शिव व चंद्रमा की पूजा-अर्चना करने के बाद मोती धारण करें। 
रूद्राक्ष की पूजा करें- आज ही विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाहानुसार पंचमुखी और चौदहमुखी रूद्राक्ष प्राप्त करें। 

क्या न करें:
गरिष्ठ यानी कि जो भोजन आपके शरीर के लिए भारी हैं, उनसे परहेज करें। 
बासी भोजन कदापि न करें। 
तेलयुक्त व मसालेदार खाने से यथासंभव बचें। 
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