
मैं निरंतर देख रहा हूँ की जिन लोगों को हमने निस्वार्थ रूप से साथ देकर आगे बढाया है, वो सब महा हरामी हो चुके हैं। उद्योग खोल चुके हैं वो सब अपने काले कारोबार का। हर तरह से नैतिक पतन हो चुका है अपने भरोसेमंद साथियों का।
ज्यादा कुछ नहीं कहना। बस इतना कहना चाहता हूँ की इस गंदे माहौल से आजाद के नाम को मुक्ति दो और सबको आजाद करो। आजाद अध्यापक संघ को भंग करो अध्यापक हित में क्योंकि महा हरामखोर लोग एक संघ का रजिस्तट्रेशन करा चुके हैं मिलते जुलते नाम के साथ जो जल्द ही सबके सामने होगा। मेरी निष्ठाओं को गद्दी से मुक्त करो।
जैसा कि श्री अजीत पाल यादव ने फैसबुक Public Group आजाद अध्यापक संघ : The Voice of Adhyapakas पर लिखा।