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रिपब्लिक टीवी ने खुलासा किया है कि यूपीए सरकार ने बोफोर्स कांड से जुड़े तमाम दस्तावेजों को जलवा दिए थे, ताकि राजीव गांधी सरकार के समय हुए इस सबसे बड़े घोटाले के दाग से बचा जा सके। इस मामले में मौजूदा समय में कोई कोर्ट केस भी नहीं चल रहा है, क्योंकि साल 2005 में हाईकोर्ट ने इस मामले को बंद करने के आदेश दिए थे और मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार ने इसपर चुप्पी साध ली थी। यही नहीं, सीबीआई ने भी जांच फिर से शुरू करने को लेकर कोई अपील नहीं की।
रिपब्लिक टीवी ने रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों के आधार पर कहा है कि यूपीए सरकार ने बोफोर्स जांच के दस्तावेजों को जलवा दिया था। यही नहीं, इस घोटाले से जुड़ा एक और खुलासे में पता चला है कि राजीव गांधी सरकार ने जांच के समय सही से सहयोग नहीं किया था। यही नहीं, जांच ढीली पड़े, इसके लिए बोफोर्स की खरीदी से जुड़े दस्तावेजों को जांच के लिए देनें भी काफी देरी की गई।
गौरतलब है कि बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए दी गई दलाली को लेकर अस्सी के दशक में जबर्दस्त राजनीतिक भूचाल आया था और इस कांड के चलते 1989 में राजीव गांधी की सरकार भी गिर गई थी। दुबे के मुताबिक, सीबीआई ने 2005 में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी मन बना लिया था लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।