नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) से कहा है कि वो जंग के लिए तैयार रहे। उन्होंने सेना से हमलावर दुश्मन को परास्त करने का आह्वान किया। सुदूर इनर मंगोलिया में स्थित सेना के झूरी ट्रेनिंग बेस में चीनी सेना के 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशाल परेड के निरीक्षण के बाद राष्ट्रपति चिनफिंग ने यह बात कही। पहली बार चीन ने इतने भव्य तरीके से सेना का स्थापना दिवस मनाया और पहली बार चीन के राष्ट्रपति ने इस तरह से शिकरत की है।
सेना की पोशाक में एक जीप पर खड़े होकर चिनफिंग ने कतारबद्ध हजारों सैनिकों से सलामी ली। इस दौरान बड़ी संख्या में टैंक और परमाणु हथियारों छोड़ने में सक्षम मिसाइलों और अन्य हथियारों का भी प्रदर्शन किया गया। इस दौरान चीन के विकसित किये एच-6 के बमवर्षक विमान आकाश में अपने करतब दिखाते रहे। शक्तिशाली सैन्य आयोग के अध्यक्ष की हैसियत से अपने निरीक्षण के दौरान राष्ट्रपति चिनफिंग ने कई बार लाउडस्पीकर से सैनिकों को संबोधित किया। कहा, हैलो कामरेड! आप वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
चीन ने पहली बार सेना दिवस को इतनी भव्यता से मनाया है। पहली बार किसी राष्ट्रपति ने इस तरह से विशेष तौर पर आयोजित परेड की सलामी ली है। 23 लाख सैनिकों वाली चीन की सेना को दुनिया की सबसे बड़ी सेना माना जाता है लेकिन अब तकनीक के विकास के दौर में इस बड़ी सेना को छोटा करने के बारे में सोचा जा रहा है। इसी के चलते चीन ने सेना से तीन लाख सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का फैसला किया है।
चीनी सेना की 90वीं सालगिरह ऐसे समय में पड़ रही है, जब सिक्किम सीमा के पास स्थित डोकलाम को लेकर भारत का उससे गतिरोध जारी है। हाल ही में 90वीं वर्षगांठ से पहले एक विशेष ब्रीफिंग में पीएलए ने डोकलाम पर एक मजबूत संदेश दिया था। पीएलए की तरफ से साथ ही कहा गया है कि डोकलाम में तैनाती भी बढ़ाई जाएगी।
राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल वू कियान ने कहा कि पिछले 90 वर्षों में पीएलए का इतिहास संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे संकल्प, क्षमता को साबित करता है। पीएलए ने यह भी कहा था कि इस घटना के जवाब में एक 'आपातकालीन प्रतिक्रिया' के तौर पर क्षेत्र में और अधिक चीनी सेना उतार सकती है। इसके साथ ही वरिष्ठ कर्नल वू कि़आन ने रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता से डोकलाम पठार पर चीन के सड़क निर्माण का पक्ष भी रखा। वहीं चीन से बातचीत के जरिए सीमा विवाद सुलझाने का भारत का एक और प्रयास विफल हो गया है। ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेने पहुंचे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच डोकलाम मुद्दे को लेकर हुई बातचीत बेनतीजा रही।