नई दिल्ली। बार बार छुपाने की कोशिश करने के बाद अंतत: नोटबंदी के बाद बैंकों/आरबीआई में जमा पुराने नोटों की संख्या घोषित करने की तैयारियां कर ली गईं हैं। दुनिया को यह बताने में कठिनाई महसूस करते हुए कि पुराने नोटों की गणना कई महीनों से चल रही है, अब सरकार ने अंतिम आंकड़ों को सार्वजनिक करने का मन बना लिया है। नोटबंदी के पहले ऐलान किया गया था कि इससे 3 लाख करोड़ का फायदा होगा परंतु मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से यह अंतर 50 हजार करोड़ से ज्यादा नहीं हैं। इसमें भी वो लोग शामिल हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लास्ट डेट के बाद नोट बदली की अनुमति मांगते हुए याचिका दायर कर रखी है।
जब नोटबंदी की गई तो सरकार ने दावा किया था कि इससे 3 लाख करोड़ रुपए का बड़ा लाभ होगा लेकिन शीघ्र ही यह ‘ऊंची उड़ान’ से नीचे आ गई और कहा कि यह लाभ 2 लाख करोड़ रुपए का होगा। वित्त मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि कोई 2 लाख करोड़ रुपए का लाभ नहीं हुआ।
8 नवम्बर, 2016 को जब नोटबंदी की गई थी तो मार्कीट में 16 लाख करोड़ रुपए के नोट प्रचलन में थे। केवल 50 हजार करोड़ रुपए के नोट ही बैंकों में वापस नहीं आए। क्या यह ही लाभ हो सकता है। यह घोषणा इसलिए रोकी गई है क्योंकि उच्चतम न्यायालय में अंतिम आदेश अभी लम्बित है। उच्चतम न्यायालय में एक केस दायर किया गया जहां याचियों ने कहा है कि उनके रुपए घोषित नीति के बावजूद आरबीआई और सरकार वापस लेने से इंकार कर रहे हैं।