नई दिल्ली। सारा देश इस समय तनाव में है। कश्मीर में पाकिस्तान के आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रियों पर हमला कर उन्हे मौत के घाट उतार दिया। सिक्किम में सीमा पर तनाव है। चीन, भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है। देश के तमाम राज्यों में किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। किसान आंदोलन हाल ही में उग्र रूप दिखा चुका है। जीएसटी के खौफ ने बाजार को आधा करके रख दिया है और राज्यसभा में सपा के सांसद नरेश अग्रवाल मांग कर रहे है कि सांसदों की सेलेरी बढ़ाई जाए। कांग्रेस के आनंद शर्मा भी उनका समर्थन कर रहे हैं।
बता दें कि अभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को हर महीने करीब 1.40 लाख रुपए मिलते हैं। इसमें कई तरह के अलाउंसेस शामिल हैं। जैसे कॉन्स्टीट्यून्सी, ऑफिस स्टेशनरी और डेली अलाउंसेस शामिल हैं। 4जी के युग में 600 रुपए में अनलिमिटेड टॉकटाइम और डाटा मिल रहा है परंतु सांसदों को 15000 रुपए टेलीफोन भत्ता मिलता है।
पार्लियामेंट्री कमेटी ने पहले से ही सांसदों के वेतन भत्ते बढ़ाने की सिफारिश कर रखी है। 1.40 से 2.80 लाख रुपए हर महीने करने की सिफारिश की गई है। 2010 में सांसदों की सैलरी-अलाउंस रिव्यू किया गया था। तब 300% सैलरी और अलाउंस बढ़ाए गए थे। 1954 से अब तक 35 बार सांसदों का सैलरी रिव्यू किया जा चुका है। 1954 से 2000 के बीच बेसिक सैलरी में 167% जबकि 2000 से 2010 के बीच इसमें 1150% की बढ़ोत्तरी की जा चुकी है।