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चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा, "मेरे पास अभी कोई प्रासंगिक जानकारी नहीं है। जहां तक मेरी जानकारी है, मेजबान देश प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय बैठकों की व्यवस्था करता है, जिनमें वे द्विपक्षीय संबंधों, ब्रिक्स सहयोग तथा बहुपक्षीय मामलों पर विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।"
ब्रिक्स के एनएसए की दो दिवसीय बैठक 27 जुलाई से शुरू होगी। लु ने कहा, "बैठक राजनीति व सुरक्षा सहयोग पर चर्चा करने का एक मुख्य मंच है।" उन्होंने कहा, "वर्तमान में वैश्विक भू-राजनीतिक कारक जटिल तथा एक-दूसरे से उलझे हुए हैं और क्षेत्रीय तनाव चरम पर है।"
तनाव घटाने का सबसे अच्छा अवसर
चीन के सरकारी समाचारपत्र द ग्लोबल टाइम्स में चाइना रिफॉर्म फोरम नामक थिंक टैंक में रिसर्च फेलो मा जिलाई ने लिखा, 'यह दोनों देशों के लिए तनाव कम करने का बेहतर मौका है। चीन डोभाल के समक्ष इस उम्मीद के साथ अपनी बात रख सकता है कि भारत तनाव कम करने के लिए कदम उठाएगा। सौदेबाजी के तहत भारत सैन्य वापसी के लिए आग्रह कर सकता है।'
हालांकि, जिलाई ने वार्ता विफल होने को लेकर आगाह भी किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में भारत-चीन संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। चीनी अधिकारियों ने बताया कि सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में जारी विवाद पर चर्चा के लिए डोभाल और यांग अनौपचारिक मुलाकात भी कर सकते हैं। एनएसए की बैठक के बाद सितंबर में पांचों देशों के राष्ट्राध्यक्ष चीनी शहर शियामेन में जुटेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसमें हिस्सा लेने की उम्मीद है।