जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के कैरीबैग निर्माताओं की याचिका पर सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। साथ ही अंतरिम आदेश के जरिए पूर्व निर्मित स्टॉक रखने वाले निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी गई। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य के कैरीबैग निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व हिमांशु मिश्रा ने पक्ष रखा।
उन्होंने दलील दी कि राज्य शासन की ओर से कैरीबैग पॉलीथिन पर लगाया गया प्रतिबंध केन्द्रीय नियम के खिलाफ है। ऐसा इसलिए क्योंकि केन्द्रीय नियम के अनुसार 50 माईक्रोन से ऊपर की पॉलीथिन अलाऊ की गई है। राज्य को चाहिए था कि वह केन्द्रीय कानून का सम्मान करते हुए अपनी तरफ से पॉलीथिन पर बैन लगाता
लेकिन ऐसा न करते हुए पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कैरीबैग पॉलीथिन को प्रतिबंधित किया गया। कैरीबैग का अर्थ होता है, जिसमें हैंडल या हाथ से पकड़ने की सुविधा उपलब्ध हो। यही वजह है कि राज्य के प्रतिबंध के बावजूद बिना हैंडल या हाथ से पकड़ने की सुविधा वाले पॉलीथिन बाजार में अब भी प्रचलन में हैं। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण का बिन्दु कगार में चला गया है।