नये राष्ट्रपति, नई इबारत लिखेंगे ?

राकेश दुबे@प्रतिदिन। कल राम नाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हो जायेंगे। राष्ट्रपति का चुनाव सोमवार को हो गया, जिसका परिणाम कल आने जा रहा है। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और इसी दिन नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह होगा। राष्ट्रपति के चुनाव में बहुत ज्यादा गहमागहमी नहीं होती, सिर्फ सत्तारूढ़ दल के रसूख का पता भर  चलता है, भारत में इस बार के निर्वाचन कुछ सवाल खड़े किये हैं। कौन राष्ट्रपति बनने जा रहा है, इसमें अटकल की कोई बात नहीं है। देश में आम धारणा बनी है इस बार का राष्ट्रपति चुनाव कुछ मामलों में अब तक हुए चुनावों से काफी अलग है। इसे अलग बनाने वाली पहली बात तो यही है कि इसके दोनों ही उम्मीदवार दलित पृष्ठभूमि से आए मृदुभाषी लोग हैं।

विपक्ष हो सत्तारूढ़ दल, कई नेता सार्वजनिक जीवन में अपनी उग्र टिप्पणियों और अन्य कार्यकलापों के कारण चर्चा में रहते हैं, लेकिन रामनाथ कोविंद को ऐसे किसी भी बयान के लिए नहीं याद किया जाता, जो उनकी योग्यताओं में से एक है। इसके बावजूद समाज में कई मोर्चों पर मौजूद तनाव का असर उन पर भी साफ दिखता हैं। इस बार चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यूपीए उम्मीदवार के समर्थन में जो टिप्पणी की थी उसका अर्थ दूर तक निकल रहा है। 

उनकी टिप्पणी थी कि इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में संकीर्ण, विभाजनकारी और सांप्रदायिक नजरिए के खिलाफ एक लड़ाई लड़ी जा रही है। सत्तारूढ़ एनडीए ने इस टिप्पणी को नजरअंदाज कर इस चुनाव के नतीजों को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पिछला चुनाव राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 69 प्रतिशत मतों से जीता था इस बार एनडीए का प्रयास था कि उसके प्रत्याशी को पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा मत मिलें। ऐसा होगा भी, क्योंकि इस चुनाव में ऐन मौके पर क्रास वोटिंग जैसे कुछ नाटकीय बिंदु भी आ जुड़े हैं। जैसे यूपी में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी के आधिकारिक रुख के विपरीत जाते हुए अपने समर्थकों से कोविंद को समर्थन देने को कहा, तो त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने मीरा कुमार के विरोध में मतदान किया। 

बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव क्रमश: रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार को समर्थन देने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। जाहिर है, इस चुनाव के नतीजे तय हैं, फिर भी समाज में मौजूद विभाजन का असर इस पर साफ महसूस किया जा सकता है। नये राष्ट्रपति से नई इबारत लिखने की अपेक्षा देश कर रहा है। पक्ष और प्रति पक्ष ने चयन का जो मापदंड रखा था, उससे देश को मिला संदेश, एक तरफा है। इस एक तरफा संदेश के पीछे छिपे संदेश के मायने बदलने और समग्र समाज को राष्ट्रोत्थान का संदेश देने में 14वे राष्ट्रपति सफल हो।
 शुभकामना।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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