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छठवां वेतनमान की अंतरिम राहत 2013 से दे रही है पर उसे लागू 2016 से कर रही है, छठवें वेतनमान के गणना पत्रक में हर बार विसंगति छोड़कर अध्यापकों को उलझा कर रखी है ताकि अध्यापकों को सातवें वेतनमान देने से बचा जा सके। अध्यापकों की स्थानांतरण नीति में इतने पेंच डाल दिये हैं कि किसी को लाभ ही नहीँ मिल रहा है, वेतन से हर महीना अंशदान का पैसा कट रहा है लेकिन 1-1 साल तक सरकार उस पैसे को अध्यापकों के प्रान खाते में जमा नहीँ कर रही है। उससे अध्यापकों को मिलने वाला लाभांश सरकार खुद ले रही है।
अध्यापकों की असमय मृत्यु पर अनुकम्पा नियुक्ति नहीँ दे रही है। अभी तक बीमा योजना शुरू नहीँ की जा सकी है। शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। लगातार सरकारी स्कूल बँद किये जा रहे हैं। अध्यापकों की तमाम मांगो को सरकार ने दरकिनार रखते हुये अध्यापक हितों की लगातर उपेक्षा कर रही है जिसके चलते प्रदेश भर के अध्यापक अब सरकार से सीधे शिक्षा विभाग में सम्विलयन की ही माँग करेंगे।
राज्य अध्यापक संघ के मंडला शाखा अध्यक्ष डी के सिंगौर सहित संघ के अन्य पदाधिकारी रवीन्द्र चौरसिया,प्रकाश सिंगौर,सुनील नामदेव,श्रीमती आभा दुबे,आरती कोल, संजीव सोनी, नंद किशोर कटारे ,अजय मरावी,उमेश यादव,अभिषेक झरिया,गंगाराम यादव,मोहन यादव,राजकुमार रजक, मंशाराम झरिया,चंद्रशेखर तिवारी ,मनोज पटेल,विनोद गोयल,आसित लोथ,नंद किशोर मार्को ,श्याम बिहारी चौधरी,श्याम बैरागी , संजीव दुबे,ओमकार मिश्रा , के के चौहान, दिलीप मरावी,राम भजन गवले, अमर सिंह चंदेला, ओमकार प्रसाद, दिनेशखांडवाहे ने सभी साथियों से अपील की है कि वे 23 जुलाई को भोपाल रैली में बड़ी से बड़ी संख्या में शामिल हों जिले के अध्यापक 22 जुलाई को रात्रि में ओवर नाइट एक्सप्रेस से रवाना होंगे।