आनंद ताम्रकार/बालाघाट। गरीबों को बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराये जाने के लिये सरकार द्वारा चलाई जा रही राज्य बीमारी सहायता निधि में करोडों रूपये के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले की जांच कर रहे डॉ.एके जैन सिविल सर्जन ने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर डीव्ही सिंग को प्रस्तुत कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस घोटाले में सीएमएचओ, उनके स्टाफ के कुछ अधिकारी/कर्मचारी एवं प्राइवेट अस्पतालों के संचालक शामिल हैं। मिलीभगत के चलते गरीबों के इलाज के बदले मनमाने बिल बनाकर पास किए गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य बीमारी सहायता में लगभग 158 प्रकरणों में 2 करोड रूपये का गोलमाल किया गया है। इस मामले की शिकायत तत्कालीन कलेक्टर श्री भरत यादव से की गई थी। जिसमें उन्होने जांच के निर्देश देते हुये सिविल सर्जन एके जैन को जांच अधिकारी नियुक्त किया था।
यह उल्लेखनीय है कि राज्य बीमारी सहायता के माध्यम से गरीबों का निःशुक्ल उपचार कराने के लिये अनेक अस्पतालों को चिन्हित किया है। जहां जिले से राज्य सहायता निधि के प्रकरण भिजवाये जाते थे लेकिन सीएचएमओ कार्यलय में पदस्थ कर्मचारियों द्वारा आपसी सांठगांठ कर अस्पताल के संचालकों से मिलकर उपचार में अधिक का बिल बना लिया जाता था जबकि उपचार में कम खर्ज हुई है।
इस मामले में उन सभी चिन्हित अस्पतालों की भी जांच की जायेगी एवं जांच में जो भी दोषी पाया जायेगा उस पर कार्यवाही की जायेगी। पता चला है इस घोटाले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी चिन्हित अस्पतालों के डाक्टर उनका स्टाफ भी शामिल है।
डॉक्टर एके जैन ने बताया की मुझे राज्य बीमारी सहायता निधि के प्रकरणों की जांच के लिये कलेक्टर द्वारा अधिकृत किया गया है। जिसकी जांच कर कलेक्टर महोदय को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया गया है। इसके अलावा और भी प्रकरणों की जांच जारी है। कलेक्टर डीवी सिंग ने अवगत कराया की उनके समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नही की गई है जांच रिपोर्ट आने के बाद अग्रिम कार्यवाही की जायेगी।