
न्यायमूर्तिदीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि मधुर भंडारकर के निर्देशन में बनी फिल्म 1975-77 के आपातकाल के दौर पर आधारित है. यह फिल्म कानून के दायरे में एक कलात्मक अभिव्यक्ति है और इसकी कल की रिलीज को रोकने का कोई औचित्य नहीं है. भंडारकर के वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से बताए गए अंशों को पहले ही काट दिया है और हमारा दावा है कि फिल्म पूरी तरह साफ है. इसकी किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई समानता नहीं है.
पीठ ने कहा, जहां तक फिल्म के प्रदर्शन की बात है, हमारा मानना है कि यह कानून के दायरे में रहते हुए की गई कलात्मक अभिव्यक्ति है और इसे रोकने का कोई औचित्य नहीं है. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के 24 जुलाई के फैसले को चुनौती देते हुए महिला की ओर से दायर याचिका में दम नहीं है.
खुद को दिवंगत संजय गांधी की जैविक पुत्री बताने वाली प्रिया सिंह पॉल ने बंबई उच्च न्यायालय में अपनी याचिका खारिज होने के बाद उच्चतम न्यायालय का रूख किया था. उच्च न्यायालय में उन्होंने मांग की थी कि फिल्म को सीबीएफसी की ओर से दिया गया प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया जाए. आज सुनवाई के दौरान प्रिया के वकील ने आरोप लगाया कि फिल्म में मनगढंत तथ्य हैं और इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय की छवि को धूमिल किया गया है.