
संदीप दीक्षित ने कहा कि इसके बावजूद भाजपा दूसरों को देशविरोधी कहती रहती है। दीक्षित ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी तब के राष्ट्रवादी थे, जब देश में अंग्रेजों की सरकार थी, न कि आज के राष्ट्रवादी। इसके प्रमाण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के दस्तावेज़ों से मिलते हैं, जिनमें आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों की तारीफे लिखी हैं। संदीप दीक्षित ने कहा कि अब आरएसएस और बीजेपी के लोग ही हमलोगों को देशभक्ति पाठ पढ़ा रहे हैं कि देशभक्त कौन है और देश का निर्माण किसने किया।
संदीप दीक्षित ने यह बात बीते रविवार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' के विरोध में खुद की ओर से शुरू किए गए 'दिल की बात' में कही। उन्होंने कहा कि अपने 'मन की बात' में पीएम मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन का जिक्र किया। इसमें जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई जैसे उन नेताओं का जिक्र था, जो उस वक्त कांग्रेसी थे लेकिन बाद में कांग्रेस से अलग हो गए, पर उस वक़्त के बड़े कांग्रेसी नेताओं का नाम पीएम ने नहीं लिया।
संदीप दीक्षित ने कहा कि जाहिर सी बात है कि ये सारे नाम उनके 'मन की बात' के स्क्रिप्ट राइटर तो लिखना नहीं भूल गए होंगे। दीक्षित ने कहा कि इन्ही सब वजहों से पीएम मोदी आजतक मेरी नजरों में खुद को प्रधानमंत्री साबित नहीं कर पाए हैं।