इंदौर। BOMBAY HOSPITAL INDORE में गरीबों के नाम पर नेता और अधिकारियों के परिजनों का मुफ्त इलाज करने के मामले में अस्पताल प्रबंधन ने हाईकोर्ट ने अपना जवाब प्रस्तुत किया है। दोबारा पेश किए गए जवाब में कहा गया कि अस्पताल मरीजों से उनके गरीब होने का कोई सबूत नहीं मांगता। जो मरीज खुद को गरीब बताते हुए घोषणा-पत्र देते हैं, उन्हें मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाती है। अस्पताल के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि अस्पताल ने रियायती दर पर आईडीए से जमीन लीज पर ली थी। लीज शर्तों के मुताबिक अस्पताल को गरीब वर्ग के 15 प्रतिशत मरीजों का मुफ्त इलाज करना था, लेकिन शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है, इसलिए लीज रद्द की जाए। कोर्ट के आदेश पर अस्पताल ने उन मरीजों की सूची पेश की थी, जिनका मुफ्त इलाज किया गया। करीब दो सप्ताह याचिकाकर्ता ने रिजॉइंडर पेश कर आरोप लगाया था कि उक्त सूची में कई खामियां हैं। इसमें नेताओं-अधिकारियों के परिजन भी शामिल हैं। इन लोगों को गरीब बताकर मुफ्त इलाज का दावा किया जा रहा है। अस्पताल ने शुक्रवार को अतिरिक्त जवाब प्रस्तुत किया। याचिका में अब दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
हम किसी भी मरीज के इलाज के लिए प्रमाण-पत्र का इंतजार नहीं कर सकते। नियमानुसार जो भी मरीज आएगा, उसका पहले इलाज करने का नियम है। बिना इलाज उसकी जान को खतरा हो सकता है। वैसे भी नियम-शर्तों में कहीं उल्लेख नहीं है कि गरीबी का प्रमाण-पत्र लेकर ही मुफ्त इलाज करना है।
राहुल पाराशर, प्रबंधक, बॉम्बे हास्पिटल