नई दिल्ली। चीन के एक सरकारी अखबार ने संपादकीय पेज पर छपे लेख में दावा किया है कि भारत और चीन के बीच कोई विवाद है ही नहीं। सीमा पर जो तनाव है वो मोदी सरकार की ओर से क्रिएट किया गया है, क्योंकि वो अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इंप्रेस करना चाहते हैं। इस तरह मोदी सरकार ने अमेरिका को यह जताया है कि वो चीन के उदय को रोकने के लिए कृत संकल्प है। ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा, मोदी ने ट्रंप के साथ अपनी बैठक की तैयारी के लिए दो कदम उठाए। पहला, उन्होंने अमेरिका के साथ हथियार सौदा किया। हथियार सौदे से अमेरिका को भारत से भारी मौद्रिक लाभ ही नहीं होगा बल्कि इससे चीन पर नजर रखने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
अमेरिका का दिखा रहा था भारत: चीन
सरकारी थिंक टैंक शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में वरिष्ठ फेलो ने लियू जोंग्यी ने अपने लेख में लिखा, दूसरे कदम का मकसद अमेरिका को यह दर्शाना है कि चीन के उदय को रोकने के लिए भारत कृत संकल्प है।
लेखक ने दिए उदाहरण
उन्होंने डोकलाम में जारी गतिरोध पर कहा, उदाहरणार्थ, भारतीय बलों ने चीन-भारत सीमा के विवादित सिक्किम क्षेत्र को पार किया और मोदी की अमेरिका यात्रा से कुछ दिन पहले चीनी कर्मियों को सड़कों का निर्माण करने से रोका। लेख में कहा गया है कि इसके अलावा, भारत सरकार ने चीनी उत्पादों के संबंध में डंपिंग विरोधी जांच शुरू की है। मोदी प्रशासन चीन-भारत संबंधों की कीमत पर अमेरिकी सहयोग चाहता है और उसने चीन के उदय को रोकने के लिए नेतृत्व किया है।
दोनों देशों के विदेश मंत्रालय ने किए दावे
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार डोकलाम घटना 16 जून को हुई जबकि चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि भारतीय बलों ने पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों को सड़क निर्माण से 18 जून को रोका था। मोदी ने 25 से 27 जून तक अमेरिका की यात्रा की थी।
मोदी-ट्रंप संबंध पर लिखा
लेख में मोदी की अमेरिका यात्रा को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा गया है कि बैठक से सीमित परिणाम मिलने के मद्देनजर यह ऐतिहासिक घटना नहीं थी, जैसा कि भारत में कुछ मीडिया संस्थानों ने इसे पेश किया था। इसमें साथ ही कहा गया है कि मोदी ने ट्रंप के साथ अपेक्षाकृत सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित किए हैं।
अमेरिका को भी चीन की जरूरत: चीन
लेख में कहा गया है, दोनों ने अपने भाषणों में एक दूसरे की प्रशंसा की और दोनों देशों के बीच विवादों पर बात करने से बचने के लिए हर संभव प्रयत्न किया। इसमें कहा गया है, दोनों देशों ने रक्षा सहयोग एवं आतंकवाद के खिलाफ सहयोग में अपने हितों को एकीकृत किया है। चीन के बढ़ते प्रभावों की काट के लिए अमेरिका, भारत का समर्थन करता है लेकिन वह चीन को नाराज करने की कोशिश नहीं करता है क्योंकि ट्रंप को अब भी कई मामलों में चीन की मदद की आवश्यकता है।
हिज्बुल मुजाहिदीन के नेता सैयद सलाहुद्दीन को अमेरिका की ओर से वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मामले पर लेख में कहा गया है कि यह अमेरिका के इस नजरिए के अनुरूप है कि पाकिस्तान विवाद के समाधान में अहम होने के बजाए क्षेत्रीय विवादों का स्रोत है।