भोपाल। संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनाव आयोग ने 2008 में पेड न्यूज का दोषी पाया है। दण्ड स्वरूप नरोत्तम मिश्रा को 3 साल तक चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। 2008 में हुए अपराध के लिए 2017 में सजा सुनाई गई। इस बीच 2013 में चुनाव हुए और नरोत्तम मिश्रा फिर से मंत्री बन गए। कहा गया कि मिश्राजी की 2013 की सदस्यता शून्य हो गई है। मंत्री मिश्रा सहित भाजपा और विधानसभा के स्पीकर तक ने दावा किया कि सदस्यता शून्य नहीं हुई है। चुनाव आयोग को इसका अधिकार ही नहीं है। अब कांग्रेस हाईकमान ने मामले पर स्टडी शुरू कर दी है। दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज वकील कानून और आदेश की छानबीन कर रहे हैं।
कांग्रेस का कहना है कि नरोत्तम मिश्रा ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया। इस प्रकार वे निर्वाचन आयोग के आदेश की अवमानना कर रहे हैं। कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि इस मसले को लेकर कांग्रेस आलाकमान बहुत गंभीर है। आलाकमान के निर्देश पर आज वरिष्ठतम विधि विशेषज्ञ श्री कपिल सिब्बल के निवास पर एक अहम बैठक आहूत की गई है, जिसमें श्री पी.चिदंबरम, श्री विवेक तनखा एवं श्री अभिषेक मनु सिंघवी हिस्सा ले रहे हैं।
यहां कुछ अधूरे सवाल भी शेष हैं। बड़ा सवाल यह है कि यदि मंत्री मिश्रा के अनुसार चुनाव आयोग को सदस्यता शून्य करने का अधिकार ही नही है तो फिर वो हाईकोर्ट में स्टे किस बात का मांगने गए थे। आदेश को चुनौती देकर पहली ही तारीख में इसे खारिज क्यों नहीं करवा देते। सवाल यह है कि यदि चुनाव आयोग को अधिकार ही नहीं था तो फिर गजट नोटिफिकेशन के लिए आदेश कैसे जारी हो गया। बिना कानूनी अधिकार के चुनाव आयोग इस तरह के आदेश कैसे जारी कर सकता है।