भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ऑटोनोमस सोसायटी खत्म कर प्राधिकरण बनाए जाने संबंधी बिल से घबराए डॉक्टरों ने बुधवार को मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने जनरल बॉडी की बैठक बुलाई। फिर तय किया गया कि बिल के विरोध में सड़कों पर उतरा जाएगा। बुधवार को 600 से ज्यादा गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने विरोध में सड़क पर उतरे। आम जनता को जानवरों की तरह ट्रीट करने वाले डॉक्टर चाहते हैं कि जनता उनका समर्थन करे।
डॉक्टरों ने तर्क दिया कि 30 साल से एक ही जगह पर काम कर रहे हैं। मरीजों से लगाव हो गया है। बिल के आने से यह भरोसा टूट सकता है। बता दें कि वर्षों से जमे डॉक्टरों ने कमाई के कई स्थाई रास्ते भी जमा लिए हैं। प्राधिकरण के बाद वो रास्ते प्रभावित हो सकते हैं। डॉक्टरों का कुतर्क है कि किसी भी प्रदेश में ऐसा प्राधिकरण नहीं है फिर भी मप्र में इसकी क्या जरूरत है। पूर्व में उनकी नियुक्ति स्वशासी समिति ने की थी। तब सेवा शर्तां में बदलाव की कोई बात नहीं बताई गई। अब प्राधिकरण बनाकर सेवा शर्तें बदलना गलत है।
शिवराज सिंह सरकार को दी चेतावनी
मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष डॉ. संजीव गौर ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार अपने अड़ियल रवैया नहीं बदला तो डॉक्टर्स सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। अंतिम बार सरकार को मौका दिया जा रहा है। बिल वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि मेडिकल कॉलेज 1998 से स्वशासी संस्था के तौर पर गठित हुए हैं। टीचर्स व अन्य स्टाफ की नियुक्ति स्वशासी संवर्धन संविलयन नियम 1998 के तहत की गई है। ऐसे में सरकार बीच में सेवा शर्तें कैसे बदल सकती है।
मरीजों की शिकायतें भरी पड़ीं हैं: चिकित्सा शिक्षा मंत्री
इधर, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री शरद जैन का कहना है कि डॉक्टरों की ढेरों शिकायतें सरकार के पास आती हैं, फिर भरोसे की बात क्यों की जा रही है। फिर भी डॉक्टरों पर मरीजों का भरोसा बने इसलिए यह बिल ला रहे हैं। बिल से किसी डॉक्टरों को कोई नुकसान नहीं होगा। यह केवल प्रशासनिक काम में सुधार के लिए लाया जा रहा है। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।