
CBI की FIR में क्या आरोप?
जांच एजेंसी का आरोप है कि धनुष के लिए जो बेयरिंग सप्लाई किए गए वो बताए तो मेड इन जर्मनी थे लेकिन हकीकत में वो मेड इन चाइना थे। खास बात ये है कि इन्हें मेड इन जर्मनी बताने के लिए कंपनी ने फेक लेटरहेड का इस्तेमाल किया। धनुष तोपें भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम तोप है। लिहाजा, सरकार ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया। बोफोर्स तोप ने 1999 के करगिल युद्ध में बेहद अहम भूमिका निभाई थी। धनुष को देश में ही बनाया गया है।
कौन शामिल?
सिध सेल्स सिंडिकेट के अलावा GUN CARRIAGE FACTORY जबलपुर के अज्ञात अफसरों पर इस मामले में केस दर्ज किया है। एफआईआर के मुताबिक, इन अफसरों ने ये जानते हुए भी कि सप्लाई किए गए बेयरिंग काम के नहीं हैं, इन्हे रिसीव किया। इन सभी पर आपराधिक साजिश औ धोखाधड़ी का आरोप है। जांच एजेंसी का कहना है कि धनुष देश की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण तोप है और ‘वायर रेस रोलर बेयरिंग’ इसका खास कम्पोनेंट है। इस बेयरिंग को ही सीआरबी-मेड इन जर्मनी बताया गया जबकि हकीकत में इसे साइनो यूनाईटेड इंडस्ट्रीज हेनान में बनाया गया था।
क्या कमी थी?
एफआईआर के मुताबिक- जो बेयरिंग सप्लाई किए गए वो क्वॉलिटी और डायमेंशन के लिहाज से बेहद घटिया थे और इन्हें धनुष में नहीं लगाया जा सकता था। इतना ही नहीं, कंपनी ने कहा था कि अगर इनमें कोई खराबी पाई गई तो वो इन्हें मुफ्त में बदलकर देगी। सीबीआई ने चीन की कंपनी और सिध सेल्स सिंडिकेट के बीच जो ई-मेल हुए, उन्हें भी जांच में शामिल किया है।