जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में मंत्रीपरिषद की सब-कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में यह निष्कर्ष दिया गया है कि गोलीकांड के लिए वन अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर अनुचित है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे एक अपराधी को पकड़ने गए थे। उस दौरान परिस्थिजन्य वजह से गोली चलानी पड़ी, जिससे दो बेकसूर आदिवासियों की जान चली गई। इसलिए शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्दोष मानते हुए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
बुधवार को हाईकोर्ट ने कैबिनेट-सब कमेटी की उक्त रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेने के साथ ही छिंदवाड़ा के बहुचर्चित गुलसी गोलीकांड को लेकर दायर जनक्रांति मोर्चा और हिन्द मजदूर किसान पंचायत की जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि यह मामला नवंबर-2015 से कैबिनेट सब-कमेटी की रिपोर्ट प्रतीक्षित होने के कारण लंबित था। अब चूंकि रिपोर्ट पेश हो चुकी है, अतः जनहित याचिकाएं आगे विचाराधीन रखे जाने की आवश्यकता नहीं रह गई है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता राघवेन्द्र कुमार और चिमनलाल सेठी ने पक्ष रखा। हाईकोर्ट ने इस मामले में गृह विभाग के प्रमुख सचिव को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए पटाक्षेप कर दिया। इसके साथ ही जनहित याचिकाकर्ताओं को अपने स्तर पर कानूनी कार्रवाई के लिए भी स्वतंत्र किया गया है।