इंदौर। लोकायुक्त पुलिस ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी की शिकायत पर गुरुवार को इंदौर में दो और धार में एक जगह रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ सरकारी अधिकारियों को पकड़ा। मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक बिल पास करने के बदले 2 लाख की रिश्वत लेते पकड़े गए, वहीं आरआर कैट के वैज्ञानिक अफसर कंपनी की सुरक्षा निधि निकालने के लिए दिए जाने वाले सर्टिफिकेट के लिए 20 हजार रुपए लेते हुए धरे गए। इसी तरह जल संसाधन विभाग सरदारपुर (धार) में पदस्थ एसडीओ अरुण त्रिपाठी को 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया। इन्होंने अटके बिलों को पास कराने के नाम पर कंपनी के मालिक धर्मेंद्र शर्मा से रिश्वत मांगी थी।
लोकायुक्त एसपी दिलीप सोनी के मुताबिक तीनों शिकायत सेल साइट इंजीनियरिंग ने की थी। कंपनी ने उज्जैन में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण किया था। इसकी लागत एक करोड़ 70 लाख रुपए बताई जा रही है। इसके बिल कुछ महीनों से मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण में अटके थे। इन्हें पास कराने के लिए महाप्रबंधक अशोक चावला ने कंपनी से 2 लाख मांगे थे। गुरुवार को कंपनी के प्रतिनिधि रोशन महसारे ने चावला से फोन पर चर्चा की, जिन्होंने एमआईजी स्थित विभाग कार्यालय पर बुलाया। चावला शाम साढ़े 5.30 बजे आए। करीब 5.45 बजे रोशन कार्यालय में दाखिल हुआ। 20 मिनट बातचीत चलती रही। इस दौरान रोशन एक लिफाफे में 2 हजार के 100 नोट देकर चला गया। कुछ देर बाद लोकायुक्त टीम पहुंच गई और रंगेहाथों चावला को पकड़ लिया। काफी देर पूछताछ के बाद टीम महालक्ष्मी नगर सनशाइन कॉलोनी स्थित घर पहुंची। डीएसपी दिनेश पटेल की टीम देर रात तक दस्तावेज खंगालते रही।
चौराहे पर ही पकड़ लिया
चावला के यहां कार्रवाई करने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने कैट अधिकारी को रिश्वत लेते पकड़ा। कंस्ट्रक्शन कंपनी ने पिछले साल कैट में निर्माण कार्य पूरा किया था, इसकी सुरक्षा निधि के रूप में छह लाख रुपए आरआर कैट में जमा थी। इसे निकलवाने के लिए वैज्ञानिक अधिकारी प्रदीप लट्ठे ने कंपनी के प्रतिनिधि रोशन से 20 हजार रुपए की मांग की। प्रदीप ने कैट कॉलोनी के चौराहे पर जैसे ही 20 हजार रुपए दिए लोकायुक्त पुलिस ने तुरंत उन्हें पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक रोशन ने पहले ही प्रदीप को कमीशन की एक किस्त दे दी थी, मगर बाद में उन्होंने दोबारा 20 हजार की मांग की।