भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्ता पक्ष की ओर से जीएसटी के समर्थन में बयानों की तो बाढ़ आई हुई है परंतु मध्यप्रदेश सरकार के 100 से ज्यादा एक्सपर्ट आज तक जीएसटी दो तिहाई नियम तक नहीं बना पाए। पिछले पांच दिन में जीएसटी के 35 नियमों पर भोपाल में ड्राफ्टिंग और नोटिफिकेशन का काम युद्धस्तर पर हुआ। जिसमें 200 उप नियम बनाए गए। इंदौर और भोपाल के 100 से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों की एक विशेष टीम ने पांच दिन लगातार 61 घंटे काम किया। इसकी सीधी निगरानी के लिए खुद कमिश्नर राघवेंद्र सिंह कमर्शियल टैक्स विभाग के 10 नंबर स्थित कार्यालय में देर रात तक बैठे रहे।
नोटिफिकेशन के साथ यहां 1 जुलाई से कमर्शियल टैक्स विभाग कैसे काम करेगा, इसका खाका भी तैयार किया गया। जीएसटी लागू होने के पहले दिन व्यापारी के मन में सबसे पहला सवाल क्या उठने वाला है? ऐसे करीब 100 सवालों की एक सूची तैयार की गई है। इस दौरान अधिकारियों ने पाया कि एक्ट में आधे से अधिक सवाल ऐसे भी हैं जिनके जवाब ही नहीं हैं। इन पर स्थिति साफ होने में एक माह का समय और लग सकता है।
बड़ी परेशानी ट्रांसपोर्ट ऑफ गुड्स यानी माल ढुलाई से जुड़ी थी क्योंकि जीएसटी कानून के तहत चौकियां समाप्त हो चुकी हैं। विभाग ने सभी चौकियों का स्टॉफ वापस बुला लिया है। विकल्प के तौर पर आया कानून खामियों के चलते टाल दिया गया है। ऐसे में आज ट्रांसपोर्टर के माल की चैकिंग कैसे होगी। यह किसी को नहीं पता।
जीएसटीएन सिस्टम की TESTING तक नहीं
केंद्र सरकार ने जीएसटीएन के सॉफ्टवेयर का ट्रायल रन तक नहीं किया। इस सिस्टम के जरिए पूरे देश में करीब 35 करोड़ इनवाइस जनरेट होंगी। सारे व्यापारी इसी जीएसटीएन पर रजिस्टर्ड हैं। अधिकारी इसी जीएसटीएन के डाटा के आधार पर ही असेसमेंट का काम करेंगे।
इन्हें बनाने में लगा वक्त
रिटर्न : यह नियम 34 पेज का था। इसमें 30 से अधिक उप नियम थे। 30 से अधिक अफसरों टीम ने करीब छह घंटे में इस नियम को बनाया।
पंजीयन: यह 10 पेज का था। इस नियम को बनाने में विशेषज्ञों की टीम को छह घंटे का समय लगा।
लाइबिलिटी: व्यापारियों के लिए थ्रेशहोल्ड लिमिट तय होनी थी। अलग-अलग टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए नियम अलग-अलग थे।
नहीं बना पाए ये रूल
ई-वेबिल का विकल्प: चौकियां बंद हो गई हैं। अब माल लेकर आ रहे वाहनों की निगरानी किस कानून के तहत होगी? यह तय नहीं है कि आज माल लदे ट्रक की जांच कैसे और किस कानून के तहत होगी।
पेट्रोल-डीजल और टोबेको: यह वस्तुएं जीएसटी से बाहर हैं। बावजूद इसके सरकार को नियम बनाने हैं। इसमें वैट के पुराने कानून को ही लागू रखना है। अभी विभाग इस पर कोई कानून नहीं बना सका है।
राघवेंद्र सिंह, कमिश्नर, कमर्शियल टैक्स का कहना है
पेट्रोल-डीजल के लिए पुराने फॉर्म की व्यवस्था लागू रहेगी। जीएसटी वाले गुड्स के लिए अभी कोई फॉर्म नहीं है। ट्रांसपोर्टर अपने बिल और बिल्टी लेकर ही चलें। इस बारे में सरकार नया कानून जल्द ही बनाएगी।
जितने सीजीएसटी एक्ट में थे। उतने नियम हम बना चुके हैं। आगे जो नए कानून आएंगे। हम उन पर भी नियम बना लेंगे।
कभी काम ज्यादा होता है कभी कम। नया टैक्स कानून आ रहा है। उसके लिए इतना तो करना ही पड़ेगा।