![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKX7D8vn4Hn-4-gtTXRRfKPj65oO4hujm55UwupxfLRzUPjSfhoxGA5seowBs0OqAsK6tZ5kCUrS08jK_70gb65gavl5JzoCiXdi57O6EVIYjU0ZauDH-BzjSIwipO4w7x70ZYO7X1VmY/s1600/55.png)
हालांकि अभी ये तय नहीं है कि जीएसटी में मंदिरों की अन्य सेवाओं को तय किया गया है या नहीं। तेलंगाना धर्मस्व मंत्री इंद्राकरण रेड्डी ने कहा कि 149 ऐसे मंदिर हैं जिनकी सालाना आय 20 लाख से अधिक है, इनमें से 16 मंदिरों का राजस्व एक करोड़ तक हो जाता है, जबकि 3 का 25 लाख तक होता है।
उन्होंने कहा कि अभी ये तय नहीं है कि जीएसटी में इन मंदिरों की कौन सी सेवाएं दायरे में आएंगी। अधिकारियों का कहना है कि पदमासन की तैयारियों में अधिक खर्च होगा। मंदिरों को पदमासन, अर्गितासेवा, हुंडी की राशि, लीज की भूमि व अन्य स्त्रोतों से आय होती है। अभी हुंडी के जीएसटी में आने के बारे में भी तय नहीं है।