नई दिल्ली। कुछ दिनों पहले एक गायक ने मस्जिद की अजान को ध्वनि प्रदूषण बताते हुए सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ी थी। कुछ दिनों बाद रमजान के महीने में एक शहर के कुछ मुसलमानों ने सुर्खियों में आने के लिए रात 10 बजे के बाद सुबह 7 बजे से पहले मस्जिदों में लाउडस्पीकर बंद रखने की मांग की थी। अब आईसीएससी इससे एक कदम आगे निकल गया है। भारत के सर्वश्रेष्ठ एजुकेशन बोर्ड होने का दावा करने वाले आईसीएससी ने मस्जिदों को ध्वनि प्रदूषण का स्रोत बताया है।
हालांकि आईसीएसई ने कहा कि बोर्ड ने किताब का प्रकाशन या उसे पढ़ाने की सिफारिश नहीं की और इस मामले से स्कूलों को ही निपटना होगा। सेलिना पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ध्वनि प्रदूषूण के कारणों पर एक अध्याय है। इसी में मस्जिदों को ध्वनि प्रदूषण का कारण बताया गया है। आईसीएसई बोर्ड के अधिकारी टिप्पणी के लिए मौजूद नहीं थे। प्रकाशक ने चित्र के लिए माफी मांगी है।
सोशल मीडिया में फैली तस्वीर
सोशल मीडिया पर फैली तस्वीर में ट्रेन, कार, विमान और एक मस्जिद के साथ तेज ध्वनि को दर्शाने वाले चिह्न हैं जिसके सामने एक एक व्यक्ति दिख रहा है जिसने खीझकर अपने कान बंद कर रखे हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
प्रकाशक ने मांगी माफी
प्रकाशक हेमंत गुप्ता ने सोशल मीडिया साइटों पर लिखा, सभी संबंधित लोगों को बताना चाहता हूं कि हम किताब के आने वाले संस्करणों में चित्र बदल देंगे। उन्होंने कहा, अगर इससे किसी की भी भावनाएं आहत हुई हों तो हम इसके लिए माफी मांगते हैं। आईसीएसई के मुख्य कार्यकारी एवं सचिव गेरी अराथून ने कहा कि बोर्ड स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तक का प्रकाशन या उसे पढ़ाने की सिफारिश नहीं करता।
उन्होंने कहा, अगर आपत्तिजनक सामग्री वाली कोई किताब कुछ स्कूलों में पढ़ायी जा रही है तो इस तरह की चीज ना हो, यह सुनिश्चित करने का काम स्कूलों एवं प्रकाशक का है। इस साल अप्रैल में हिंदी फिल्मों के गायक सोनू निगम ने यह कहकर विवाद को जन्म दिया था कि उनके घर के पास स्थित मस्जिद की अजान की आवाज से उनकी नींद टूट जाती है।