नई दिल्ली। कैग (Comptroller and Auditor General of India) ने शुक्रवार को एक बार फिर सरकार को चेताया कि फौज के पास बेहद कम गोला-बारूद बचा है। 2 साल पहले भी इसी तरह की चेतावनी दी थी परंतु 2 सालों में कोई अंतर नहीं आया। आज अगर आर्मी को जंग करनी पड़ जाए तो इस्तेमाल किए जाने वाले असलहों (हथियार और दूसरे सामान) में से 40% तो 10 दिन भी नहीं चल पाएंगे। 70% टैंक और तोपों के 44% गोलों का भंडार भी 10 दिन ही चल पाएगा। नियमानुसार कभी भी जंग के लिए तैयार रहने की खातिर आर्मी के पास 40 दिन लायक गोला-बारूद का भंडार होना चाहिए।
यह हालत तब है, जब दो साल पहले मई 2015 में भी कैग ने आर्मी के कम होते गोला-बारूद के भंडार पर डिटेल रिपोर्ट संसद में रखी थी। सीमा पर चीन-पाकिस्तान की चुनौतियों के बीच यह रिपोर्ट खतरे की घंटी की तरह है। शुक्रवार को कैग ने संसद में फॉलोअप ऑडिट रिपोर्ट पेश की। इसमें बताया है कि सेना के इस्तेमाल किए जाने वाले अलग-अलग तरह के असलहे में से 80% का भंडार 40 दिन लायक नहीं है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की है कि तीन साल बाद भी जंग के लिए जरूरी भंडार रखने के लिहाज से कोई खास सुधार नहीं आया। रिपोर्ट में कहा गया है, "मार्च 2013 के बाद भी सेना के गोला-बारूद भंडार में गंभीर कमी और ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड की तरफ से सप्लाई किए गए गोला-बारूद की क्वालिटी में कोई खास सुधार नहीं आया।'
तोपों के लिए फ्यूज अब भी 83% कम
तोपों में इस्तेमाल होने वाले फ्यूज की आर्मी के पास बहुत ज्यादा कमी है। आर्मी ने बिना कोई तैयारी किए मैनुअल के बजाय इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज पर शिफ्ट होने का फैसला कर लिया था। 2015 की रिपोर्ट में 89% फ्यूज कम थे। तीन साल बाद भी 83% फ्यूज की कमी बनी हुई है।
88% गोला-बारूद सिर्फ पांच दिन की ट्रेनिंग में खत्म हो जाएगा
न केवल युद्ध, बल्कि सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए जरूरी गोला-बारूद का भी भंडार कम है। साल 2015 में 91% प्रकार का गोला-बारूद पांच दिन से भी कम चलने वाला था। अब 88% गोला-बारूद पांच दिन से भी कम वक्त ही चल पाएगा।
सरकार के कदमों का कोई असर नहीं दिखा
रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने मार्च 2019 तक गोला-बारूद का जरूरी स्तर हासिल करने के लिए राेड मैप बनाया था। इसके तहत उप सेना प्रमुख को इमरजेंसी मामलों में खरीद के लिए छूट दी गई थी। साथ ही 8 तरह के असलहे का भारतीय इंडस्ट्रीज में मैन्युफैक्चरिंग के लिए पहचान की गई, लेकिन, इसकी सफलता सप्लायरों की कैपिसिटी पर निर्भर करती है। ऐसे में कमी दूर करने के लिए सरकार और सेना द्वारा किए गए प्रयासों के परिणाम आना बाकी हैं।
कैग ने दो साल पहले दी थी परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट
कैग ने पिछली रिपोर्ट में 2008-09 से 2012-13 तक का आॅडिट किया था। इसमें 170 तरह का असलहा शामिल था। जनवरी 2017 में कैग ने फॉलोअप ऑडिट किया। इसमें अप्रैल, 2013 से सितम्बर 2106 तक के आंकड़े शामिल हैं। 152 प्रकार के असलहे इसमें शामिल हैं। 2008 से 2013 के दौरान खरीदारी के लिए 9 आइटम पहचाने गए थे, लेकिन, 2014 से 2016 के दौरान इनमें से सिर्फ पांच पर ही काम हो सका। 2008 से 2013 के दौरान खरीद प्रक्रिया के लिए 28 मामले लंबित थे। लेकिन इनमें से सिर्फ दो ही अमल में आ पाए।