भोपाल। सरदार सरोवर बांध के कारण डूब में आ गई मध्य प्रदेश के बड़वानी की जमीन से ग्रामीणों को बेदखल करने की प्रक्रिया जारी है। ग्रामीण उचित विस्थापन की मांग कर रहे हैं। मौके पर ग्रामीण और पुलिस की बड़ी फौज आमने सामने है। प्रशासन इतनी जल्दी में है कि उसने गांधी स्मारक को JCB से तोड़ डाला और उसमें रखे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेव भाई देसाई के अस्थि कलश अपमानजनक तरीके से निकाल लिए। सामान्यत: ऐसी स्थिति में अस्थि कलश को गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में सम्मानजनक तरीके से निकालकर दूसरी जगह स्थापित किया जाता है। इसमें मर्यादाओं का महत्व है।
इस घटना के दौरान मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए और बिना कोई जानकारी के स्मारक हटाने को लेकर हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना पंचनामा बनाए अस्थि कलश ले जाए जा रहे थे। करीब 2 घंटे तक विरोध के बाद प्रशासन वहां से हट गया लेकिन कुछ देर बार फिर प्रशासन का अमला मौकै पर पहुंचा और अस्थि कलश उठाकर राजघाट ले जाया गया।
कलेक्टर ने गांधीगिरी को दादागिरी से खदेड़ा
संतों व लोगों ने सवाल उठाया कि गांधी स्मारक को गाजे-बाजे व सम्मान के साथ न ले जाते हुए हिंसक तरीके से ले जाया गया। उनका आरोप है कि कलेक्टर ने गांधीगिरी को दादागिरी से खदेड़ा और पुलिस ने लोगों के साथ बर्बरता की। कार्यकर्ताओं को लाठियों से खदेड़ा गया। दुकानों में रखे पूजा-पाठ के सामान को सड़क पर फेंक दिया गया। जिला प्रशासन ने बुधवार को दावा किया है कि राजघाट स्थित गांधी स्मारक के लिए आवंटित भूखंड पर किसी तरह का कोई निर्माण नहीं चल रहा है। वहीं कुकरा के प्रभावितों का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर चंद्रहास दुबे द्वारा व ग्राम सभा में गांधी समाधि के लिए तय किए गए भूखंड पर वर्तमान में निर्माण जारी है। यदि प्रशासन इससे इंकार करता है तो बसाहट में आए और बताएं कि गांधी स्मारक के लिए कहां भूखंड छोड़ा गया है।