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इसी बीच भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने अशोकनगर जिले के एक ट्रॉमा सेंटर को सांसद सिंधिया द्वारा गंगाजल से धुलवाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रामा सेंटर का उद्घाटन भाजपा विधायक गोपीलाल जाटव कर चुके थे, लेकिन अगले ही दिन कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी वहां पहुंच गए और ट्रामा सेंटर को गंगाजल से धुलवाया है, जो कि दलितों का अपमान है। वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लालसिंह आर्य ने भी इसमें सहमति जताई।
प्रश्नकाल की समाप्ति के बाद शून्यकाल शुरू होते ही सत्ता पक्ष की ओर से सहकारिता राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने सिंधिया से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि दलितों के अपमान के मामले में नेता प्रतिपक्ष और समूची कांग्रेस माफी मांगे। विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि सिंधिया की ओर से माफी नहीं मांगे जाने की स्थिति में वे उपवास पर बैठ जाएंगे। वहीं मंत्री आर्य ने कहा कि सदन में निंदा प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए। इसी बीच विपक्ष का भी मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लेकर हंगामा लगातार जारी रहा। दोनों पक्षों के शोरगुल के चलते अध्यक्ष डॉ शर्मा ने सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
सदन के समवेत होने पर भी दोनों पक्षों का हंगामा जारी रहा। सत्ता पक्ष के विधायक सिंधिया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की मांग पर और विपक्ष मंत्री मिश्रा को लेकर रुख स्पष्ट किए जाने की मांग पर अड़ा रहा, जिसके चलते कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
कार्यवाही दोबारा शुरु होने पर अध्यक्ष डॉ शर्मा की ओर से अनुमति दिए जाने पर मंत्री सारंग ने कहा कि सांसद सिंधिया ने दलित विरोधी काम किया है। यह विशेषाधिकार हनन का मामला है। अध्यक्ष डॉ शर्मा ने उनसे इस मामले को नियमानुसार लाने पर विचार करने के निर्देश दिए। नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि मंत्री मिश्रा को लेकर बात थी, लेकिन सत्ता पक्ष इसे कहीं और ले गया। इसी बीच कांग्रेस विधायक तिवारी ने कहा कि प्रश्नोत्तरी में मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम कैसे और किस आधार पर दर्ज है पहले सत्ता पक्ष इसका जवाब दे।
इस पर अध्यक्ष डॉ शर्मा ने कहा कि ये विषय नहीं है, मामला न्यायालय में है और इस पर कोई चर्चा नहीं होगी। इसी दौरान भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने एक बार फिर अशोकनगर का मुद्दा उठा दिया, जिसके चलते कांग्रेस सदस्यों का हंगामा पुन: शुरू हो गया। नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि जो इस सदन का सदस्य नहीं है, उसका यहां नाम कैसे लिया जा सकता है। अध्यक्ष डॉ शर्मा ने भी सदस्यों से कहा कि किसी का नाम नहीं लें।
इस पर नेता प्रतिपक्ष ने बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें भी राज्यसभा में नहीं बोलने दिया गया, ये भी दलितों का अपमान है। बसपा सदस्यों ने भी नेता प्रतिपक्ष की बात का समर्थन किया। इसी दौरान दोनों पक्षों का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला एक बार फिर शुरू होने के बाद अध्यक्ष डॉ शर्मा ने सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी।