भोपाल। कहीं कोई है जो कांग्रेस को एकजुट होने नहीं दे रहा है। किसान आंदोलन के बहाने कोमा में पड़ी कांग्रेस में स्फूर्ति दिखाई देना शुरू हुई ही थी कि रंगा-बिल्ला की जोड़ी ने एक चाल चल दी। हाईकमान को मैसेज किया गया है कि आज की तारीख में कांग्रेस जिस स्थिति में है, उसे वैसा ही रहने दिया जाए तो आगामी चुनाव में जीत सुनिश्चित है। इस तरह से रंगा-बिल्ला ने सिंधिया और कमलनाथ की दावेदारी को सिरे से खारिज करने की कोशिश की है। दलील दी गई है कि सिंधिया और कमलनाथ दोनों में ही प्रदेश का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है। दोनों का एक क्षेत्र विशेष पर अधिकार है। मजेदार तो यह है कि जिन्होंने यह दलील दी है वो अपने ही क्षेत्र में कांग्रेस को जिताने का माद्दा नहीं रखते। रिकॉर्ड उठा लो।
खबर आ रही है कि रंगा-बिल्ला ने किसान आंदोलन के बाद एक रिपोर्ट हाईकमान को भेजी है। इसमें किसान आंदोलन के दौरान कांग्रेस के प्रदर्शन की तो जमकर तारीफ की गई है लेकिन कुछ कुटनीतिक चालें भी चली गईं हैं। बताया गया है कि जिस तरह से पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और सिंधिया द्वारा अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर लॉबिग की जा रही है। उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज जा रहा है, जो पार्टी के लिए ठीक नहीं है। रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि 2018 में कांग्रेस को बिना चैहरे के चुनाव लड़ना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो जीत मुश्किल हो जाएगी।
सूत्रानुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंधिया और कमलनाथ भले ही मध्यप्रदेश की दावेदारी जता रहे हैं लेकिन दोनों का ही अपने क्षेत्र के बाहर कोई विशेष प्रभाव नहीं है। इसलिए दोनों में से किसी भी एक को प्रदेश की कमान देना उचित नहीं होगा। इधर दिल्ली के लगातार चुप रहने के कारण कार्यकर्ताओं में एक बार फिर मायूसी छाने लगी है। उत्साह ठंडा पड़ने लगा है। कुल मिलाकर रंगा-बिल्ला ने 2018 का चुनाव भाजपा को तश्तरी में भेंट करने की तैयारी कर ली है।