
इस कहानी को कश्मीर के एक लोकल अखबार और कुछ बेवसाइट्स ने प्रकाशित किया है। छपी खबर के मुताबिक यात्रियों से भरी बस गलत समय पर गलत जगह पहुंच गई थी। अखबार के हवाले से कहा गया है कि जिस वक्त यात्रियों से भरी बस घटनास्थल के नजदीक पहुंची, वहां पहले से जम्मू-कश्मीर पुलिस और आंतकियों में मुठभेड़ चल रही थी। यह मुठभेड़ 10 मिनट तक चलती रही।
सबसे पहले अनंतनाग से बटंगू के रास्ते में खानाबल की पुलिसी चौकी पर आतंकियों ने हमला किया। हमले में तीन पुलिसकर्मी घायल हुए लेकिन जवाबी फायरिंग के चलते आंतकी बटंगू की तरफ भागने पर मजबूर हो गए। इस फायरिंग के दौरान एनएच-1ए पर श्रीनगर की तरफ से आ रही बस जो जम्मू जा रही था, बीच में आ गई और गोली बारी का शिकार हो गई।
अमरनाथ यात्री नहीं पर्यटक थे
खबर में यह भी बताया गया है कि बस में सवाल यात्री महाराष्ट्र और गुजरात के मूल निवासी थे और वह अपनी अमरनाथ यात्रा पूरी कर चुके थे। इसके बाद पर्यटन के लिए श्रीनगर गए थे। यहां भी वो 2 दिन बिता चुके थे। अत: हमला यात्रा के दौरान नहीं हुआ। आतंकियों ने यात्रा पर कोई हमला नहीं किया। यात्री बस आतंकियों के निशाने पर ही नहीं थी। यह पूरा हमला महज एक इत्तेफाक था और शायद अमरनाथ यात्रियों की बस यदि खराब न हुई होती तो वह इस गोलीबारी से साफ बच गए होते।