नोटबंदी के कारण डाकू बन गया व्यापारी, OLA CAB से डॉक्टर का अपहरण

नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार इलाके के मेट्रो अस्पताल के समीप से बीते 6 जुलाई को किडनैप किए गए डॉक्टर को दिल्ली पुलिस सकुशल मुक्त करा पाई है। दिल्ली पुलिस का यह आॅपरेशन मेरठ, उत्तरप्रदेश में हुआ। पुलिस ने अपहरण करने वाले 4 डकैतों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि मास्टर माइंड फरार हो गया। बताया जा रहा है कि इस गिरोह में 12 से अधिक डकैत शामिल हैं। गिरोह में एक व्यापारी भी है जो नोटबंदी के बाद डकैत बन गया। पुलिस के मुताबिक अपहरण की साजिश को ओला कैब ड्राइवर बन कर अंजाम दिया गया। जांच में सामने आया की डकैतों ने अपहरण की वारदात को अंजाम देने के लिए फर्जी कागज़ात के सहारे ओला कैब में अपनी कार को रजिस्टर्ड करा लिया था। 6 जुलाई को प्रीत विहार मेट्रो अस्पताल के डॉक्टर श्रीकांत ने ओला कैब बुक की। डकैत पूर्वयोजना के तहत कैब लेकर पहुंचे और डॉक्टर को किडनैप कर लिया। फिरौती के तौर पर उन्होंने 5 करोड़ रुपए की मांग की थी। 

पुलिस के मुताबिक, ओला कैब के जिस ड्राइवर ने डॉक्टर को अगवा किया वो फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस और फर्जी कागजातों के आधार पर ओला कैब चला रहा था। अपहरण करने के बाद यह गिरोह हर रोज डॉक्टर के घरवालों को एक वीडियो भेजता था, जिसमें अपराधी डॉक्टर के परिजनों से 5 करोड़ की फिरौती की मांग करते थे। फिरौती की रकम नहीं देने पर बदमाश उसे जान से मारने की धमकी भी देते थे। 

पुलिस ने अपहरण के कुछ दिन बाद ही सर्विलांस के आधार पर बदमाशों की शिनाख्त कर ली थी। सभी अपहर्ता मेरठ के पास दौराला के रहने वाले हैं। राहत की बात ये रही कि मुठभेड़ के बाद डॉक्टर श्रीकांत गौड़ को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ा लिया गया और 4 अपहर्ता गिरफ्तार कर लिए गए। इनके चार साथी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए। 

दिल्ली पुलिस अधिकारियों की मानें, तो रविवार को दिल्ली पुलिस ने यूपी एसटीएफ के साथ डकैतों को मेरठ के पास सकौती इलाके में घेर लिया था, लेकिन डकैत पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए थे। तब डॉक्टर को तो बरामद नहीं किया जा सका, लेकिन पुलिस ने अपहरण में जो कार इस्तेमाल की गई थी, उसे बरामद कर लिया था। पुलिस ने जंगलों में भी लगातार कॉम्बिंग की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल सकी।

मास्टर माइंड अभी भी फरार
पुलिस के मुताबिक इस पूरी साजिश को दादरी के रहने वाले दो भाई सुशील और अनुज ने अंजाम दिया था। इन दोनों भाई ने ही फर्जी डॉक्यूमेंट के सहारे ओला में कैब लगवाया और अपने साथियों की मदद से कैब पर चढ़ने वाले पहले ही शख्स का अपहरण कर लिया। इन दोनों भाइयों का इरादा ओला कंपनी से उसकी सवारी को छोड़ने के एवज़ में 5 करोड़ रुपए वसूलना था। फ़िलहाल दोनों भाइयो की तलाश की जा रही है।

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